ग़ज़ल अपने आप में मुकम्मल तहज़ीब है - हबीब कैफ़ी ग़ज़ल के राही सम्मान समारोह आयोजित
सोजत। सिर्फ दो पंक्तियों में पिरोये गये शब्द पूरे ब्रह्मण्ड को समेटने की ताक़त रखते हैं तभी ग़ज़ल अपने आप में एक मुकम्मल तहज़ीब का मक़ाम रखती है....,
साहित्य एक दूसरे को जोड़ता है और साहित्यकार जाति, धर्म, सम्प्रदाय, वर्ग से उपर उठकर होता है..., यह उद्गार प्रसिद्ध अफ़सानानिगार और शाइर हबीब कैफ़ी ने शबनम साहित्य समिति, सोजत और साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था लेखनी की मेज़बानी में डाॅ. सावित्री मदन डागा स्मृति भवन में आयोजित ग़ज़ल के राही सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये जिसमें मुख्य अतिथि सोजत के साहित्यकार वीरेन्द्र लखावत थे।
संयोजक अब्दुल समद राही ने बताया कि अदबी ख़िदमात के लिये पाली के शाइर जहांगीर बिस्मिल, जोधपुर के डाॅ. साजिद निसार और अशफ़ाक़ अहमद फ़ौजदार को शाॅल, श्रीफल, मोतियों की माला तथा अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रारम्भ में लेखनी के अध्यक्ष और साहित्यकार प्रमोद वैष्णव ने स्वागत उद्बोधन एवं संस्था का परिचय दिया, सम्मान समारोह के उपरान्त सम्मानित ग़ज़लकारों ने अपनी चुनिन्दा रचनाएं सुनाकर उपस्थित रसिक श्रोताओं को अभिभूत किया और दाद पायी।
इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार मनोहर सिंह राठौड़, व्यंग्यकार उमाशंकर द्विवेदी, साहित्यकार मोहन सिंह रतनू, इक़बाल कैफ़, प्रमोद सिंघल, श्याम गुप्ता श्याम, नवीन पंछी, रज़ा मोहम्मद ख़ान, कमलेश तिवारी, दीपा छगन राव, हंसराज हंस, हाजी आरिफ अली, राजेश भैरवानी, शौकत अली लोहिया, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव महेश पंवार के साथ शिक्षा, रंगमंच व साहित्य से जुड़े प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
कार्यक्रम का सफल संचालन राजस्थानी भाषा के कवि एवं कहानीकार वाजिद हसन क़ाज़ी ने किया।
वरिष्ठ संवाददाता अब्दुल समद राही कि रिपोर्ट