सृजन से जुड़े कृत्रिम मेधा में ग्राहकों की दिलचस्पी, नयी तकनीक से छंटनी की आशंका नहीं: Infosys

नयी दिल्ली । इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सलिल पारेख ने कहा कि जेनरेटिव यानी सृजन से जुड़े कृत्रिम मेधा (एआई) में ग्राहकों की गहरी दिलचस्पी है और कंपनी में भी इनकी भारी मांग है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इन नए जमाने की तकनीकों के कारण अपनी कंपनी में किसी छंटनी की आशंका नहीं है। पारेख ने 3.9 अरब डॉलर के जीएसटी कर मांग के बारे में कहा कि इन्फोसिस ने पहले ही इस बारे में बता दिया है और शेयर बाजार को दी सूचना में भी खुलासे कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास साझा करने के लिए कोई नयी जानकारी नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी कई वर्षों से बकाया करों की मांग को देखते हुए इसके लिए प्रावधान करेगी, उन्होंने कहा, हमारे पास कोई नयी सूचना नहीं है। स्थिति वैसी ही है, जैसी हमने कुछ दिन पहले साझा की थी। उन्होंने पीटीआई-से विशेष बातचीत में कहा कि जनरेटिव एआई पर ग्राहकों की ओर से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और उन्होंने इसकी तुलना अतीत में डिजिटल और क्लाउड प्रौद्योगिकियों के लिए देखी गई प्रवृत्ति से की। पारेख का मानना ​​है कि समय के साथ जनरेटिव एआई को अपनाने की प्रक्रिया में वृद्धि होगी क्योंकि उद्यमों को इससे होने वाले लाभ और व्यावसायिक परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा, इसलिए हमें लगता है कि समय बीतने के साथ इसमें तेजी आएगी, लेकिन हम इंतज़ार करेंगे और देखेंगे कि यह कैसे विकसित होता है। यह कुछ ऐसा है, जैसे कुछ साल पहले हमने डिजिटल या क्लाउड के साथ शुरुआत की थी। पारेख ने कहा कि अगर इनसे ग्राहकों को लाभ होगा तो अधिक से अधिक लोग इसे अपनाएंगे। उल्लेखनीय है कि अपने भारतीय और वैश्विक कंपनियों की तरह इन्फोसिस भी एआई में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। इस साल की शुरुआत में, इंफोसिस ने कहा था कि वह ग्राहकों के लिए 225 जनरेटिव एआई कार्यक्रमों पर काम कर रही है और जनरेटिव एआई के क्षेत्रों में 2.5 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है।

सृजन से जुड़े कृत्रिम मेधा में ग्राहकों की दिलचस्पी, नयी तकनीक से छंटनी की आशंका नहीं: Infosys
नयी दिल्ली । इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सलिल पारेख ने कहा कि जेनरेटिव यानी सृजन से जुड़े कृत्रिम मेधा (एआई) में ग्राहकों की गहरी दिलचस्पी है और कंपनी में भी इनकी भारी मांग है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इन नए जमाने की तकनीकों के कारण अपनी कंपनी में किसी छंटनी की आशंका नहीं है। पारेख ने 3.9 अरब डॉलर के जीएसटी कर मांग के बारे में कहा कि इन्फोसिस ने पहले ही इस बारे में बता दिया है और शेयर बाजार को दी सूचना में भी खुलासे कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास साझा करने के लिए कोई नयी जानकारी नहीं है। 

यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी कई वर्षों से बकाया करों की मांग को देखते हुए इसके लिए प्रावधान करेगी, उन्होंने कहा, हमारे पास कोई नयी सूचना नहीं है। स्थिति वैसी ही है, जैसी हमने कुछ दिन पहले साझा की थी। उन्होंने पीटीआई-से विशेष बातचीत में कहा कि जनरेटिव एआई पर ग्राहकों की ओर से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और उन्होंने इसकी तुलना अतीत में डिजिटल और क्लाउड प्रौद्योगिकियों के लिए देखी गई प्रवृत्ति से की। पारेख का मानना ​​है कि समय के साथ जनरेटिव एआई को अपनाने की प्रक्रिया में वृद्धि होगी क्योंकि उद्यमों को इससे होने वाले लाभ और व्यावसायिक परिणाम मिलेंगे। 

उन्होंने कहा, इसलिए हमें लगता है कि समय बीतने के साथ इसमें तेजी आएगी, लेकिन हम इंतज़ार करेंगे और देखेंगे कि यह कैसे विकसित होता है। यह कुछ ऐसा है, जैसे कुछ साल पहले हमने डिजिटल या क्लाउड के साथ शुरुआत की थी। पारेख ने कहा कि अगर इनसे ग्राहकों को लाभ होगा तो अधिक से अधिक लोग इसे अपनाएंगे। उल्लेखनीय है कि अपने भारतीय और वैश्विक कंपनियों की तरह इन्फोसिस भी एआई में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। इस साल की शुरुआत में, इंफोसिस ने कहा था कि वह ग्राहकों के लिए 225 जनरेटिव एआई कार्यक्रमों पर काम कर रही है और जनरेटिव एआई के क्षेत्रों में 2.5 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है।