सामाजिक (Social)

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विश्वगुरु नहीं विनम्र शिष्य (व्यंग्य)

विश्वगुरु नहीं विनम्र शिष्य (व्यंग्य)

दुनिया का क्या है, देश में भी कोई माने या न माने, विश्वगुरु तो हम हैं। पिछले दिन...

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गई हाथ से नौकरी (व्यंग्य)

गई हाथ से नौकरी (व्यंग्य)

दो गज की दूरी बनाने के चक्कर में निजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से ऐसी दूरी ब...

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शादियों के जलवे (व्यंग्य)

शादियों के जलवे (व्यंग्य)

शादी का लड्डू या नींबू खा चुके आम नागरिकों को अपनी शादी याद रहे न रहे, उच्च स्तर...

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हालात काबू में हैं (व्यंग्य)

हालात काबू में हैं (व्यंग्य)

चीख-पुकार की कर्कश आवाज को एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियां अपनी सायरन की आवाज से ...

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बेटी नहीं.... बेटा (व्यंग्य)

बेटी नहीं.... बेटा (व्यंग्य)

हमारे समाज में यह उपदेश खूब दिया जाता है भगवान ने सबको एक जैसा बनाया, सब एक समान...

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हलवे जैसा बजट (व्यंग्य)

हलवे जैसा बजट (व्यंग्य)

बजटजी आने वाले हैं और उम्मीदों ने नाचना शुरू कर दिया है। उच्च वर्ग को कुछ सोचने ...

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आधुनिक गधे की कहानी (कहानी)

आधुनिक गधे की कहानी (कहानी)

किसी गाँव में एक सीधा-सादा गधा रहता था, जिसका नाम गधेराम था। गधेराम बेहद मेहनती ...

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Kargil Vijay Diwas: चटकी चूड़ियां (कविता)

Kargil Vijay Diwas: चटकी चूड़ियां (कविता)

हमारे 20, 22, 25 साल के जवानों ने इस विजय के लिए और अपने देश की धरती की सुरक्षा ...

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बारिश की गुस्ताखियां (व्यंग्य)

बारिश की गुस्ताखियां (व्यंग्य)

बारिश की पहली गुस्ताखी यह है कि लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और पंचायत के पंचायती...

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आइए वृक्षारोपण ज़रुर करें (व्यंग्य)

आइए वृक्षारोपण ज़रुर करें (व्यंग्य)

वृक्षारोपण के दिनों में जब तक वटवृक्ष किस्म का नेता पौधा न रोपे तब तक समारोह में...

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Book Review: जीवित, जाग्रत क्रांति पुरुष हैं हिन्दवी स्वराज्य के दुर्ग

Book Review: जीवित, जाग्रत क्रांति पुरुष हैं हिन्दवी स्...

यात्राएं हमेशा रुचिकर होती हैं। उनका अपना लोक, चरित्र और व्यवहार होता है। यात्रा...

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बजट के शुभ अवसर पर (व्यंग्य)

बजट के शुभ अवसर पर (व्यंग्य)

लो जी बजट आ गया। विपक्षी और पक्षी नेताओं के बीच, एक दूसरे को बातों से पीटने की प...

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नैसर्गिक बुद्धि की कृत्रिम सफाई (व्यंग्य)

नैसर्गिक बुद्धि की कृत्रिम सफाई (व्यंग्य)

कृत्रिम बुद्धि ने नैसर्गिक बुद्धि को फेल कर दिया है। किसी ज़माने में एक जादूगर ने...

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मुझे भी इतिहास बनाना है (व्यंग्य)

मुझे भी इतिहास बनाना है (व्यंग्य)

इतिहास, वह विषय जो समय की धूल में अपनी गौरवगाथाएँ समेटे रहता है, पर पता नहीं क्य...

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मानसिक उदगारों की शारीरिक कुश्तियां (व्यंग्य)

मानसिक उदगारों की शारीरिक कुश्तियां (व्यंग्य)

ऐसा माना गया है कि युद्ध कैसा भी हो दिमाग से लड़ा जाता है । एक सच यह भी है कि जित...

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गधे और घोड़े (व्यंग्य)

गधे और घोड़े (व्यंग्य)

हमारे घर कुछ मेहमान आए। यहां वहां की बातें होने लगी। कोई रोमांटिक बात भी हो रही ...

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