जोधपुर की मथानिया मिर्च को मिलेगा जीआई टैग:- कृषि वैज्ञानिक जुटा रहे साक्ष्य, किसानों से जानकारी और खेतों का दौरा.।

जोधपुर की मथानिया मिर्च को मिलेगा जीआई टैग:- कृषि वैज्ञानिक जुटा रहे साक्ष्य, किसानों से जानकारी और खेतों का दौरा.।

जोधपुर। देश-दुनिया में अपनी विशेष तीखापन, रंग और स्वाद के लिए पहचानी जाने वाली जोधपुर की मथानिया मिर्च को जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गई है।

जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने इस उद्देश्य के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम गठित की है। इस टीम ने मथानिया और तिंवरी क्षेत्र के किसानों से मुलाकात कर उनकी मिर्च की विशेषताओं और ऐतिहासिक जानकारी एकत्र की।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने बताया, "मथानिया मिर्च की अनूठी पहचान मारवाड़ क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी से जुड़ी है। इसे जीआई टैग मिलने से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि क्षेत्र की वैश्विक पहचान भी मजबूत होगी।"

10 वैज्ञानिकों की टीम जुटा रही साक्ष्य प्रोजेक्ट के समन्वयक डॉ. एम.एम. सुंदरिया ने बताया कि 10 वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम इस प्रोजेक्ट पर कार्यरत है।

18 नवंबर को वैज्ञानिकों ने मथानिया क्षेत्र के खेतों का दौरा कर मिर्च के सैंपल जुटाए। इन सैंपलों को जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय की लैब में भेजा गया है, जहां मिर्च के रंग, स्वाद, तीखापन और अन्य विशेषताओं का अध्ययन किया जाएगा।

डॉ. सुंदरिया ने कहा, "किसानों से मिर्च की ऐतिहासिक और पारंपरिक जानकारी भी ली गई है। अध्ययन और साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जीआई टैगिंग के लिए आवेदन किया जाएगा।"

जीआई टैग से क्या होगा फायदा..?

 प्रोजेक्ट के सह-समन्वयक डॉ. चंदन राय ने बताया कि जीआई टैग मिलने से मथानिया मिर्च को कानूनी सुरक्षा मिलेगी। यह उत्पाद की बौद्धिक संपदा की रक्षा करता है और नाम के दुरुपयोग को रोकता है।

इससे बाजार में मिर्च की प्रमाणिकता स्थापित होगी, जिससे मांग बढ़ेगी और किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा बढ़ती है।

 उदाहरण के तौर पर, अल्फांसो आम, नागपुर संतरा, बीकानेरी भुजिया जैसे उत्पाद पहले से ही जीआई टैग युक्त हैं। मथानिया मिर्च की पहचान मथानिया मिर्च अपने तीखे स्वाद, गहरे लाल रंग और विशिष्ट खुशबू के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इसका उपयोग भारतीय व्यंजनों में रंग और तीखापन बढ़ाने के लिए किया जाता है।

यह मिर्च मारवाड़ क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के कारण अपनी विशिष्टता बनाए रखती है। मारवाड़ के किसानों को मिलेगा फायदा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा, "जीआई टैग न केवल मारवाड़ की मिर्च की पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि किसानों के व्यापार को भी बढ़ावा देगा।

 विश्वविद्यालय ने इस प्रक्रिया को त्वरित गति से पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं।"

संक्षेप में: मथानिया मिर्च को जीआई टैग मिलने से यह मिर्च वैश्विक बाजार में अपनी खास पहचान बनाएगी, जिससे मारवाड़ क्षेत्र के किसानों और उत्पादकों को सीधा लाभ होगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक दल दिन-रात कार्यरत है।

वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा कि रिपोर्ट