बरसात की बूंदे (कविता)

कवि ने इस कविता के माध्यम से यह बताना है कि बारिश की बूंदे जमीन पर गिरती है तो मानों वह धरती को एक प्रेम पत्र लिखा जा रहा है। बारिश की बूंदों में एक कहानी और एक गीत छिपा हुआ है। कवि ने इस कविता में वर्षा ऋतु का बहुत सुंदर वर्णन किया है।बरसात की धीमे से गिरती बूँदें,मानो धरती को एक प्रेम पत्र लिखा जा रहा हो।मैं और तुम, इस अमृतमयी प्रभात के साक्षी,जहां हर बूँद में छिपी एक कहानी, एक गीत।वह बूँद जो तुम्हारी पलकों पर ठहरी,वो रूपक बन गया जीवन के संघर्षों का।मेरी बातें, तुम्हारे शब्द,मानो व्यंजना बन जोड़ रही हो दो आत्माओं को।क्या देख रहे हो इस पानी का चंचल नाच?इसकी मासूम नादानी और अठखेलियों को,जैसे तुम्हारी मुस्कान में खिल रहा है है खुशी का अप्रतिम सौन्दर्य।बरसात का यह मौसम, ये रिमझिम फुहारें,साक्षी हैं हैं हमारी प्रेम कथा के,जिसमें हर शब्द, हर वाक्य बुन रहा है है आशाओं का परिधान।मैं और तुम, इस बारिश में भीगते हुए,नये सपने, नयी आशाएँ, नयी उम्मीदें बुनते हुए।जैसे नव वर्षा की बूँदें,लिख रहीं हों हमारे प्रेम की नयी इबारत।यह कविता नहीं, मानो है एक दीपक,जो अंधेरों में भी चमकता रहेगा तुम्हरे साथ,और बारिश की हर एक बूँद,देती जाएगी प्रेम को नयी समृद्धि।- डॉ मुकेश असीमित

बरसात की बूंदे (कविता)
कवि ने इस कविता के माध्यम से यह बताना है कि बारिश की बूंदे जमीन पर गिरती है तो मानों वह धरती को एक प्रेम पत्र लिखा जा रहा है। बारिश की बूंदों में एक कहानी और एक गीत छिपा हुआ है। कवि ने इस कविता में वर्षा ऋतु का बहुत सुंदर वर्णन किया है।

बरसात की धीमे से गिरती बूँदें,
मानो धरती को एक प्रेम पत्र लिखा जा रहा हो।

मैं और तुम, इस अमृतमयी प्रभात के साक्षी,
जहां हर बूँद में छिपी एक कहानी, एक गीत।

वह बूँद जो तुम्हारी पलकों पर ठहरी,
वो रूपक बन गया जीवन के संघर्षों का।

मेरी बातें, तुम्हारे शब्द,
मानो व्यंजना बन जोड़ रही हो दो आत्माओं को।

क्या देख रहे हो इस पानी का चंचल नाच?
इसकी मासूम नादानी और अठखेलियों को,
जैसे तुम्हारी मुस्कान में खिल रहा है 
है खुशी का अप्रतिम सौन्दर्य।

बरसात का यह मौसम, ये रिमझिम फुहारें,
साक्षी हैं हैं हमारी प्रेम कथा के,
जिसमें हर शब्द, हर वाक्य बुन रहा है 
है आशाओं का परिधान।

मैं और तुम, इस बारिश में भीगते हुए,
नये सपने, नयी आशाएँ, नयी उम्मीदें बुनते हुए।

जैसे नव वर्षा की बूँदें,
लिख रहीं हों हमारे प्रेम की नयी इबारत।

यह कविता नहीं, मानो है एक दीपक,
जो अंधेरों में भी चमकता रहेगा तुम्हरे साथ,
और बारिश की हर एक बूँद,
देती जाएगी प्रेम को नयी समृद्धि।

- डॉ मुकेश असीमित