Vishwakhabram: US से मिले आधुनिक हथियारों को लेकर Ukraine तो Russia के भीतर घुसता ही चला जा रहा है

रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे वर्ष में युद्ध मैदान के हालात में आये बड़े परिवर्तन ने सबको चौंका दिया है। जिस तरह यूक्रेन रूस को उसके घर में घुसकर मार रहा है उससे समूची दुनिया हैरान रह गयी है। हालांकि यहां एक सवाल यह उठ रहा है कि यूक्रेन अमेरिकी हथियारों के साथ जिस तरह रूस में हमले कर रहा है क्या उससे अमेरिका की हथियार नीति का उल्लंघन नहीं हो रहा है? हम आपको बता दें कि यूक्रेन ने कहा है कि उसके सैनिक 6 अगस्त को घुसपैठ शुरू करने के बाद से अब तक रूस में 35 किमी (21 मील) तक घुस आए हैं। कीव का कहना है कि उसे रूसी भूमि पर कब्जा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह अपने सीमावर्ती क्षेत्रों को रूस से बचाने के लिए एक बफर जोन बना रहा है। इसे भी पढ़ें: 'तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर है दुनिया', पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए रूसी सांसद ने किया बड़ा दावादूसरी ओर, अमेरिका का कहना है कि अगर यूक्रेन अमेरिकी हथियारों और वाहनों का उपयोग करके गांवों और अन्य गैर-सैन्य ठिकानों पर कब्जा करना शुरू कर देता है, तो इससे अमेरिकी हथियार नीति पर सवाल उठ सकते हैं। अमेरिका को यह भी चिंता है कि युद्ध में अमेरिका और नाटो देशों के हथियारों का रूस के खिलाफ खुलकर विरोध होने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भड़क सकते हैं। अमेरिका का कहना है कि वाशिंगटन की हथियार नीति यूक्रेन द्वारा रूस पर आक्रमण करने के लिए नहीं बनाई गई थी। अमेरिका का कहना है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने हमले के समर्थन या विरोध में कोई मजबूत सार्वजनिक रुख नहीं अपनाया है।वैसे अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रूस में यूक्रेनी घुसपैठ में कौन से अमेरिका निर्मित हथियार या उपकरण का इस्तेमाल किया गया है। हम आपको बता दें कि फरवरी 2022 में रूस द्वारा अपने पड़ोसी पर आक्रमण करने के बाद से अमेरिका यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़ा रहा है और उसे 50 बिलियन डॉलर से अधिक के सैन्य उपकरण प्रदान किए हैं। हालांकि अपने भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रूस के साथ व्यापक संघर्ष से बचने की कोशिश करते हुए, बाइडन प्रशासन ने शुरू में अपने हथियारों के उपयोग पर सख्त शर्तें लगा दीं थीं। लेकिन अब उन शर्तों को धीरे-धीरे ढीला कर दिया गया है। हम आपको यह भी बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदमीर ज़ेलेंस्की की अपील के बावजूद अमेरिका अभी भी रूसी क्षेत्र पर लंबी दूरी के हमलों के लिए अपने हथियारों के उपयोग की अनुमति नहीं दे रहा है। वैसे बाइडन प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से "लंबी दूरी" को परिभाषित नहीं किया है। विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि अमेरिका ने धीरे-धीरे यूक्रेन द्वारा अपने हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों में ढील दे दी है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोप या अमेरिका के खिलाफ आशंका के मुताबिक अब तक कोई हमला नहीं किया है।हम आपको बता दें कि व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने हाल ही में कहा था कि हम बहुत स्पष्ट और सुसंगत रहे हैं कि हम वास्तव में यूक्रेन को अपनी सीमाओं के अंदर आक्रामकता के खिलाफ खुद का बचाव करने पर ध्यान केंद्रित करते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि हम यूक्रेन के बाहर हमलों को न तो प्रोत्साहित करते हैं और न ही इसकी अनुमति देते हैं, सिवाय उन आपातकालीन परिस्थितियों के, जहां हमारा मानना है कि सीमा पर वे कुछ आसन्न खतरों का सामना कर रहे हैं।हम आपको बता दें कि यूक्रेन ने सीमा पार से बिजली की तेजी से रूस पर हमला किया था। अब यूक्रेनी सैनिक बड़े जोखिम के साथ आगे बढ़ रहे हैं और रूस को वापस अपने पैर जमाने से रोकना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि यूक्रेन ने पिछले हफ्ते पश्चिमी रूसी क्षेत्र कुर्स्क में हजारों सैनिकों को तैनात किया। यूक्रेन ने अपने सैनिकों द्वारा जब्त किए गए शहरों में रूसी झंडे उतार दिए और पहली बार युद्ध में मास्को पर बढ़त बना ली। इस बारे में कीव में अधिकारियों ने कहा है कि यूक्रेन अपने उत्तर को रूसी हमलों से बचाने के लिए जब्त किए गए रूसी क्षेत्र को "बफर ज़ोन" के रूप में उपयोग करेगा। यूक्रेनी सशस्त्र बलों के प्रमुख ऑलेक्ज़ेंडर सिर्स्की ने कहा है कि कीव ने कुर्स्क के कब्जे वाले हिस्से में एक सैन्य कमांडेंट का कार्यालय स्थापित किया है। सिर्स्की ने कहा है कि कब्ज़ा किया गया क्षेत्र 1,150 वर्ग किमी से अधिक है। इस बीच, पूर्व यूक्रेनी रक्षा मंत्री एंड्री ज़ागोरोड्न्युक ने एक साक्षात्कार में कहा है कि कुर्स्क में यूक्रेन का लक्ष्य यह भी है कि डोनबास के पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्र से रूसी सेना को भगाया जाये जहां उसने लगातार बढ़त हासिल की है।इस बीच, रूस ने कहा है कि वह सीमा सुरक्षा बढ़ाएगा, कमान और नियंत्रण में सुधार करेगा और कुर्स्क में यूक्रेनी घुसपैठ के बाद अतिरिक्त बल भेजेगा। इसके साथ ही रूस ने यूक्रेन द्वारा पश्चिमी हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ भी चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के उपर राजदूत दिमित्री पोलांस्की ने कहा है कि कुर्स्क में, यूक्रेन में या कहीं और अमेरिकी हथियारों का उपयोग अगर होता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यह हमला बड़ा झटका तो है ही साथ ही, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से रूस पर सबसे बड़ा आक्रमण है जिसने रूसी सेनाओं की प्रतिष्ठा को नष्ट कर दिया है। रूसी अधिकारियों ने कहा है कि रूसी क्षेत्र पर यूक्रेनी हमला एक "आतंकवादी आक्रमण" है क्योंकि नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था। पुतिन ने कहा कि रूस हमले का "उचित जवाब" देगा लेकिन पहला काम रूसी क्षेत्र से सभी यूक्रेनी सैनिकों को बाहर निकालना है। पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन शांति वार्ता में सौदेबाजी के लिए इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लेना चाहता है। इसे भी पढ़ें: Russia के इलाकों पर यूक्रेन कर रहा ताबड़तोड़ हमले, भारत को जारी करनी पड़ी एडवाइजरीबहरहाल, यह भी माना जा रहा है कि रूसी भूमि के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की कोशिश करने से यूक्रेन

Vishwakhabram: US से मिले आधुनिक हथियारों को लेकर Ukraine तो Russia के भीतर घुसता ही चला जा रहा है
रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे वर्ष में युद्ध मैदान के हालात में आये बड़े परिवर्तन ने सबको चौंका दिया है। जिस तरह यूक्रेन रूस को उसके घर में घुसकर मार रहा है उससे समूची दुनिया हैरान रह गयी है। हालांकि यहां एक सवाल यह उठ रहा है कि यूक्रेन अमेरिकी हथियारों के साथ जिस तरह रूस में हमले कर रहा है क्या उससे अमेरिका की हथियार नीति का उल्लंघन नहीं हो रहा है? हम आपको बता दें कि यूक्रेन ने कहा है कि उसके सैनिक 6 अगस्त को घुसपैठ शुरू करने के बाद से अब तक रूस में 35 किमी (21 मील) तक घुस आए हैं। कीव का कहना है कि उसे रूसी भूमि पर कब्जा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह अपने सीमावर्ती क्षेत्रों को रूस से बचाने के लिए एक बफर जोन बना रहा है।
 

इसे भी पढ़ें: 'तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर है दुनिया', पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए रूसी सांसद ने किया बड़ा दावा


दूसरी ओर, अमेरिका का कहना है कि अगर यूक्रेन अमेरिकी हथियारों और वाहनों का उपयोग करके गांवों और अन्य गैर-सैन्य ठिकानों पर कब्जा करना शुरू कर देता है, तो इससे अमेरिकी हथियार नीति पर सवाल उठ सकते हैं। अमेरिका को यह भी चिंता है कि युद्ध में अमेरिका और नाटो देशों के हथियारों का रूस के खिलाफ खुलकर विरोध होने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भड़क सकते हैं। अमेरिका का कहना है कि वाशिंगटन की हथियार नीति यूक्रेन द्वारा रूस पर आक्रमण करने के लिए नहीं बनाई गई थी। अमेरिका का कहना है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने हमले के समर्थन या विरोध में कोई मजबूत सार्वजनिक रुख नहीं अपनाया है।

वैसे अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रूस में यूक्रेनी घुसपैठ में कौन से अमेरिका निर्मित हथियार या उपकरण का इस्तेमाल किया गया है। हम आपको बता दें कि फरवरी 2022 में रूस द्वारा अपने पड़ोसी पर आक्रमण करने के बाद से अमेरिका यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़ा रहा है और उसे 50 बिलियन डॉलर से अधिक के सैन्य उपकरण प्रदान किए हैं। हालांकि अपने भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रूस के साथ व्यापक संघर्ष से बचने की कोशिश करते हुए, बाइडन प्रशासन ने शुरू में अपने हथियारों के उपयोग पर सख्त शर्तें लगा दीं थीं। लेकिन अब उन शर्तों को धीरे-धीरे ढीला कर दिया गया है। हम आपको यह भी बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदमीर ज़ेलेंस्की की अपील के बावजूद अमेरिका अभी भी रूसी क्षेत्र पर लंबी दूरी के हमलों के लिए अपने हथियारों के उपयोग की अनुमति नहीं दे रहा है। वैसे बाइडन प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से "लंबी दूरी" को परिभाषित नहीं किया है। विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि अमेरिका ने धीरे-धीरे यूक्रेन द्वारा अपने हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों में ढील दे दी है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोप या अमेरिका के खिलाफ आशंका के मुताबिक अब तक कोई हमला नहीं किया है।

हम आपको बता दें कि व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने हाल ही में कहा था कि हम बहुत स्पष्ट और सुसंगत रहे हैं कि हम वास्तव में यूक्रेन को अपनी सीमाओं के अंदर आक्रामकता के खिलाफ खुद का बचाव करने पर ध्यान केंद्रित करते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि हम यूक्रेन के बाहर हमलों को न तो प्रोत्साहित करते हैं और न ही इसकी अनुमति देते हैं, सिवाय उन आपातकालीन परिस्थितियों के, जहां हमारा मानना है कि सीमा पर वे कुछ आसन्न खतरों का सामना कर रहे हैं।

हम आपको बता दें कि यूक्रेन ने सीमा पार से बिजली की तेजी से रूस पर हमला किया था। अब यूक्रेनी सैनिक बड़े जोखिम के साथ आगे बढ़ रहे हैं और रूस को वापस अपने पैर जमाने से रोकना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि यूक्रेन ने पिछले हफ्ते पश्चिमी रूसी क्षेत्र कुर्स्क में हजारों सैनिकों को तैनात किया। यूक्रेन ने अपने सैनिकों द्वारा जब्त किए गए शहरों में रूसी झंडे उतार दिए और पहली बार युद्ध में मास्को पर बढ़त बना ली। इस बारे में कीव में अधिकारियों ने कहा है कि यूक्रेन अपने उत्तर को रूसी हमलों से बचाने के लिए जब्त किए गए रूसी क्षेत्र को "बफर ज़ोन" के रूप में उपयोग करेगा। यूक्रेनी सशस्त्र बलों के प्रमुख ऑलेक्ज़ेंडर सिर्स्की ने कहा है कि कीव ने कुर्स्क के कब्जे वाले हिस्से में एक सैन्य कमांडेंट का कार्यालय स्थापित किया है। सिर्स्की ने कहा है कि कब्ज़ा किया गया क्षेत्र 1,150 वर्ग किमी से अधिक है। इस बीच, पूर्व यूक्रेनी रक्षा मंत्री एंड्री ज़ागोरोड्न्युक ने एक साक्षात्कार में कहा है कि कुर्स्क में यूक्रेन का लक्ष्य यह भी है कि डोनबास के पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्र से रूसी सेना को भगाया जाये जहां उसने लगातार बढ़त हासिल की है।

इस बीच, रूस ने कहा है कि वह सीमा सुरक्षा बढ़ाएगा, कमान और नियंत्रण में सुधार करेगा और कुर्स्क में यूक्रेनी घुसपैठ के बाद अतिरिक्त बल भेजेगा। इसके साथ ही रूस ने यूक्रेन द्वारा पश्चिमी हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ भी चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के उपर राजदूत दिमित्री पोलांस्की ने कहा है कि कुर्स्क में, यूक्रेन में या कहीं और अमेरिकी हथियारों का उपयोग अगर होता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यह हमला बड़ा झटका तो है ही साथ ही, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से रूस पर सबसे बड़ा आक्रमण है जिसने रूसी सेनाओं की प्रतिष्ठा को नष्ट कर दिया है। रूसी अधिकारियों ने कहा है कि रूसी क्षेत्र पर यूक्रेनी हमला एक "आतंकवादी आक्रमण" है क्योंकि नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था। पुतिन ने कहा कि रूस हमले का "उचित जवाब" देगा लेकिन पहला काम रूसी क्षेत्र से सभी यूक्रेनी सैनिकों को बाहर निकालना है। पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन शांति वार्ता में सौदेबाजी के लिए इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लेना चाहता है।
 

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बहरहाल, यह भी माना जा रहा है कि रूसी भूमि के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की कोशिश करने से यूक्रेनी सेना को संभावित रूप से भारी नुकसान हो सकता है। ऐस इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र की जनता यूक्रेन को एक बड़े दुश्मन के रूप में देखती है। युद्धों का इतिहास रहा है कि जब तक कब्जाये गये इलाके के लोग आक्रमणकारी के खिलाफ होंगे तब तक उस क्षेत्र पर ज्यादा समय कब्जा नहीं रखा जा सकता।

-नीरज कुमार दुबे