शिव भक्त कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए अलग कांवड़ यात्रा मार्ग समय की मांग

देश में हर वर्ष आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान वर्ष दर वर्ष शिव भक्त कांवड़ियों व आम जनमानस के जान-माल की सुरक्षा करना अब तो पुलिस-प्रशासन के लिए एक बेहद ही जटिल कार्य बनता जा रहा है। हालांकि शिव भक्तों को सबसे ज्यादा ख़तरा कांवड़ियों के भेष में उनके बीच ही छिपकर बैठे हुए कुछ हुड़दंगियों व कुछ आपराधिक सोच वाले लोगों से है, क्योंकि इस तरह के चंद लोगों की देवाधिदेव भगवान महादेव के प्रति कोई आस्था श्रद्धा विश्वास नहीं होता है, बल्कि इन चंद लोगों का उद्देश्य तो केवल माहौल खराब के कांवड़ियों व आम जनमानस के जान-माल की सुरक्षा को ख़तरे में डालते हुए, अपना हित साधने का होता है। उन लोगों का उद्देश्य होता है कि शांतिपूर्ण ढंग से चल रही कांवड़ यात्रा में हंगामा करके समाज का माहौल खराब करके पूजनीय शिव भक्त कांवड़ियों के प्रति आम जनमानस के बीच नफ़रत के बीज बोएं। इसलिए ही यह चंद लोग देवाधिदेव भगवान शिवशंकर के सिद्धांतों पर अमल ना करके भूल से भी जरा सी कोई घटना हो जाने पर ही, उस व्यक्ति को माफ़ ना करके मारपीट करने, तोड़फोड़ व लोगों की जान लेने तक पर उतारू हो जाते हैं और सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि हर वर्ष ऐसे घटनाओं में अब बढ़ोतरी होती जा रही है। वैसे अगर हम पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं पर ध्यान दें तो देश के विभिन्न हिस्सों से कांवड़ियों के भेष में आने वाले कुछ हुड़दंगियों का उद्देश्य ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश का माहौल खराब करने का ही होता है। जो जहरीली मंशा इन राज्यों के पुलिस-प्रशासन व शिव भक्त कांवड़ियों की सतर्कता के चलते व भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से हर वर्ष विफल हो जाती है।वैसे भी देश व प्रदेश के नीति निर्माताओं को यह सोचना चाहिए कि दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म 'सनातन धर्म' के करोड़ों अनुयायियों को हर वर्ष आने वाले श्रावण मास की कांवड़ यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है। हालांकि बड़ी कांवड़ यात्रा वर्ष में दो बार पावन पर्व शिवरात्रि व महाशिवरात्रि पर हर वर्ष चलती है। लेकिन श्रावण मास भगवान शिव का अतिप्रिय होने के चलते भगवान भोलेनाथ के भक्त भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर के श्रावण मास में कांवड़ लेने अधिक संख्या में जाते हैं, यह स्थिति कांवड़ लाने वाले देश के हर क्षेत्र में रहती है। विशेषकर उत्तराखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो पवित्र श्रावण मास में करोड़ों की संख्या में शिव भक्त कांवड़िए सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके कांवड़ लाकर के भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इसे भी पढ़ें: बुलडोजर के बाद अब हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा, कांवड़ियों पर योगी और धामी सरकार ने आकाश से बरसवाये फूलइस उद्देश्य से ही देश के विभिन्न हिस्सों में सनातन धर्म के करोड़ों अनुयाई देवाधिदेव भगवान महादेव के अतिप्रिय माह श्रावण मास के शुरू होते ही शिव भक्त कांवड़ लेकर अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करने निकल पड़ते हैं। इस दौरान उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बहुत सारे जिलों से रोज़ाना लाखों की संख्या में गुजरने वाली कांवड़ियों की सुरक्षा करना पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। उत्तराखंड के गोमुख से लेकर के ऋषिकेश, हरिद्वार व उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद आदि में यूपी, दिल्ली हरियाणा, पंजाब व राजस्थान आदि राज्यों के कांवड़ियों को व्यस्त सड़क पर जल ले जाते समय सुरक्षा देने में इन राज्यों के पुलिस-प्रशासन को संसाधनों की पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है और अगर जरा सी भी कोई घटना यात्रा मार्ग में घटित हो जाये तो सिस्टम व आम जनमानस दोनों के हाथ-पांव बुरी तरह से फूल जाते हैं। अलग-अलग राज्यों से रोज़ाना लाखों की संख्या में गंगाजल लेने के लिए पहुंच रहे पैदल व डाक कांवड़ियों की भारी भरकम भीड़ को देखते हुए ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की बहुत सारी सड़कों, हाईवे आदि पर चलने वाले भारी वाहनों के ट्रैफिक को पूरी तरह से रोकर के डायवर्ट करना पड़ता है। वहीं लोकल के हल्के वाहनों के लिए भी एक लेन आने व एक लेन जाने की बनाकर ट्रैफिक का संचालन करना पड़ता है। जो स्थिति चौबिसों घंटे खड़े होकर के ड्यूटी देने वाले पुलिस-प्रशासन व उस क्षेत्र के आम जनमानस के लिए तो बेहद चुनौतीपूर्ण होती ही है। साथ ही वर्ष दर वर्ष तेजी से बढ़ते हुए हल्के वाहनों की संख्या के चलते कांवड़ यात्रा के दौरान वाहन दुर्घटनाओं में भी तेजी से इजाफा हो रहा है, जो कि शिव भक्त कांवड़ियों के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को असमय लीलने का कारण बन रही है और कांवड़ यात्रा के दौरान आये दिन दंगा-फसाद होने का कारण भी बनने लगी है।वैसे भी आज देश के हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन होने के चलते कुछ लोगों की नासमझी से सोशल मीडिया पर एक ऐसा दौर चल रहा है जब एक छोटी सी बात का बतंगड़ चंद मिनटों में ही जाति-धर्म की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले कुछ नेताओं व कुछ लोगों की कृपा से बन जाता है। इसलिए यह अब समय की मांग है कि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य के हित में हर वर्ष होने वाली इस अद्भुत पावन कांवड़ यात्रा को शांति पूर्वक पूरे भक्तिपूर्ण व शिवमय माहौल में संपन्न करवाने के लिए कांवड़ लाने वाले भक्तों के लिए एक अलग कांवड़ यात्रा मार्ग को धरातल पर जल्द से जल्द मूर्त रूप देकर के भगवान शिव के भक्त कांवड़ियों की सुरक्षा को ओर मजबूत किया जाए।- दीपक कुमार त्यागीअधिवक्ता, स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक

शिव भक्त कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए अलग कांवड़ यात्रा मार्ग समय की मांग

देश में हर वर्ष आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान वर्ष दर वर्ष शिव भक्त कांवड़ियों व आम जनमानस के जान-माल की सुरक्षा करना अब तो पुलिस-प्रशासन के लिए एक बेहद ही जटिल कार्य बनता जा रहा है। हालांकि शिव भक्तों को सबसे ज्यादा ख़तरा कांवड़ियों के भेष में उनके बीच ही छिपकर बैठे हुए कुछ हुड़दंगियों व कुछ आपराधिक सोच वाले लोगों से है, क्योंकि इस तरह के चंद लोगों की देवाधिदेव भगवान महादेव के प्रति कोई आस्था श्रद्धा विश्वास नहीं होता है, बल्कि इन चंद लोगों का उद्देश्य तो केवल माहौल खराब के कांवड़ियों व आम जनमानस के जान-माल की सुरक्षा को ख़तरे में डालते हुए, अपना हित साधने का होता है। उन लोगों का उद्देश्य होता है कि शांतिपूर्ण ढंग से चल रही कांवड़ यात्रा में हंगामा करके समाज का माहौल खराब करके पूजनीय शिव भक्त कांवड़ियों के प्रति आम जनमानस के बीच नफ़रत के बीज बोएं। इसलिए ही यह चंद लोग देवाधिदेव भगवान शिवशंकर के सिद्धांतों पर अमल ना करके भूल से भी जरा सी कोई घटना हो जाने पर ही, उस व्यक्ति को माफ़ ना करके मारपीट करने, तोड़फोड़ व लोगों की जान लेने तक पर उतारू हो जाते हैं और सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि हर वर्ष ऐसे घटनाओं में अब बढ़ोतरी होती जा रही है। वैसे अगर हम पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं पर ध्यान दें तो देश के विभिन्न हिस्सों से कांवड़ियों के भेष में आने वाले कुछ हुड़दंगियों का उद्देश्य ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश का माहौल खराब करने का ही होता है। जो जहरीली मंशा इन राज्यों के पुलिस-प्रशासन व शिव भक्त कांवड़ियों की सतर्कता के चलते व भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से हर वर्ष विफल हो जाती है।

वैसे भी देश व प्रदेश के नीति निर्माताओं को यह सोचना चाहिए कि दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म 'सनातन धर्म' के करोड़ों अनुयायियों को हर वर्ष आने वाले श्रावण मास की कांवड़ यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है। हालांकि बड़ी कांवड़ यात्रा वर्ष में दो बार पावन पर्व शिवरात्रि व महाशिवरात्रि पर हर वर्ष चलती है। लेकिन श्रावण मास भगवान शिव का अतिप्रिय होने के चलते भगवान भोलेनाथ के भक्त भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर के श्रावण मास में कांवड़ लेने अधिक संख्या में जाते हैं, यह स्थिति कांवड़ लाने वाले देश के हर क्षेत्र में रहती है। विशेषकर उत्तराखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो पवित्र श्रावण मास में करोड़ों की संख्या में शिव भक्त कांवड़िए सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके कांवड़ लाकर के भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। 

इसे भी पढ़ें: बुलडोजर के बाद अब हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा, कांवड़ियों पर योगी और धामी सरकार ने आकाश से बरसवाये फूल

इस उद्देश्य से ही देश के विभिन्न हिस्सों में सनातन धर्म के करोड़ों अनुयाई देवाधिदेव भगवान महादेव के अतिप्रिय माह श्रावण मास के शुरू होते ही शिव भक्त कांवड़ लेकर अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करने निकल पड़ते हैं। इस दौरान उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बहुत सारे जिलों से रोज़ाना लाखों की संख्या में गुजरने वाली कांवड़ियों की सुरक्षा करना पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। उत्तराखंड के गोमुख से लेकर के ऋषिकेश, हरिद्वार व उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद आदि में यूपी, दिल्ली हरियाणा, पंजाब व राजस्थान आदि राज्यों के कांवड़ियों को व्यस्त सड़क पर जल ले जाते समय सुरक्षा देने में इन राज्यों के पुलिस-प्रशासन को संसाधनों की पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है और अगर जरा सी भी कोई घटना यात्रा मार्ग में घटित हो जाये तो सिस्टम व आम जनमानस दोनों के हाथ-पांव बुरी तरह से फूल जाते हैं। अलग-अलग राज्यों से रोज़ाना लाखों की संख्या में गंगाजल लेने के लिए पहुंच रहे पैदल व डाक कांवड़ियों की भारी भरकम भीड़ को देखते हुए ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की बहुत सारी सड़कों, हाईवे आदि पर चलने वाले भारी वाहनों के ट्रैफिक को पूरी तरह से रोकर के डायवर्ट करना पड़ता है। वहीं लोकल के हल्के वाहनों के लिए भी एक लेन आने व एक लेन जाने की बनाकर ट्रैफिक का संचालन करना पड़ता है। जो स्थिति चौबिसों घंटे खड़े होकर के ड्यूटी देने वाले पुलिस-प्रशासन व उस क्षेत्र के आम जनमानस के लिए तो बेहद चुनौतीपूर्ण होती ही है। साथ ही वर्ष दर वर्ष तेजी से बढ़ते हुए हल्के वाहनों की संख्या के चलते कांवड़ यात्रा के दौरान वाहन दुर्घटनाओं में भी तेजी से इजाफा हो रहा है, जो कि शिव भक्त कांवड़ियों के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को असमय लीलने का कारण बन रही है और कांवड़ यात्रा के दौरान आये दिन दंगा-फसाद होने का कारण भी बनने लगी है।

वैसे भी आज देश के हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन होने के चलते कुछ लोगों की नासमझी से सोशल मीडिया पर एक ऐसा दौर चल रहा है जब एक छोटी सी बात का बतंगड़ चंद मिनटों में ही जाति-धर्म की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले कुछ नेताओं व कुछ लोगों की कृपा से बन जाता है। इसलिए यह अब समय की मांग है कि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य के हित में हर वर्ष होने वाली इस अद्भुत पावन कांवड़ यात्रा को शांति पूर्वक पूरे भक्तिपूर्ण व शिवमय माहौल में संपन्न करवाने के लिए कांवड़ लाने वाले भक्तों के लिए एक अलग कांवड़ यात्रा मार्ग को धरातल पर जल्द से जल्द मूर्त रूप देकर के भगवान शिव के भक्त कांवड़ियों की सुरक्षा को ओर मजबूत किया जाए।

- दीपक कुमार त्यागी
अधिवक्ता, स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक