डॉ. गजादान चारण को मिला राष्ट्रीय गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार..

डॉ. गजादान चारण को मिला राष्ट्रीय गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार..

राजस्थानी की मान्यता हेतु बहुमुखी एवं समेकित प्रयासों की बताई आवश्यकता

 डेह / नागौर "मातृभाषा राजस्थानी का साहित्य शक्ति, भक्ति एवं अनुरक्ति का त्रिवेणी संगम है। यह पावन ज्ञाननिधि हमें प्रतिपल गौरवान्वित करती है।

 इस भाषा की 73 जीवंत बोलियाँ एवं उन्हें व्यवहृत करने वाली करोड़ो की जनशक्ति इसकी समृद्धि में उत्तरोत्तर वृद्धि कर रही है। गाँव-ढाणी से लेकर महानगरों तक हो रहे साहित्यिक आयोजन इस भाषा के जनभाषा होने को प्रमाणित करती है।

उक्त विचार कोटा शहर में आयोजित राजस्थानी भाषा पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत साहित्यकार डॉ. गजादान चारण 'शक्तिसुत' ने व्यक्त किए। डॉ. चारण ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए बहुमुखी एवं समेकित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया तथा कहा हम सब राजस्थानी भाषा-भाषियों के लिए वह दिन सबसे बड़ा दिन होगा, जब हमारी मातृभाषा को केंद्र एवं राज्य सरकारों की ओर से मान्यता प्रदान की जाएगी।

उन्होंने गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी राष्ट्रीय भाषा पुरस्कार हेतु निर्णायक एवं नियामक मण्डल का आभार ज्ञापित किया। पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने बाल साहित्य लेखन की दशा एवं दिशा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम बच्चों को सिखाते ही नहीं, उनसे सीखते भी हैं।

 उन्होंने राजस्थानी बाल कहानी एवं कविताओं की प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी बात रखी। कार्यक्रम अध्यक्ष कवि विश्वामित्र दाधीच ने लोक एवं शास्त्र के समन्वय की आवश्यकता पर बल देते कहा कि जो रचनाएं लोकरंग एवं लोकरस से सराबोर होती है, वे सीधी जन हृदय में पहुंच बनाती है।

विशिष्ट अतिथि साहित्यकार जयसिंह आशावत ने साहित्यिक समारोहों एवं पुरस्कारों की जूनी परंपरा से रूबरू करवाते हुए, ऐसे आयोजनों की उपादेयता सिद्ध की।

उन्होंने जितेंद्र निर्मोही कृत 'कुरजां राणी छंद रचै' पर समीक्षात्मक पत्र पढा। समीक्षक नंदू राजस्थानी ने डॉ. गजादान चारण की पुरस्कृत कृति "राजस्थानी साहित्य : साख एवं संवेदना" पर शोध आलेख प्रस्तुत किया वहीं युवा कवि हरप्रीत ने मानसी शर्मा की कृति 'प्यार प्रीत अर प्रेम' की समीक्षा प्रस्तुत की।

पुरस्कार सचिव जितेंद्र निर्मोही ने बताया कि इस बार संस्थान की ओर से 2 पुरस्कार एवं 4 सम्मान भेंट किए गए। डॉ. गजादान चारण 'शक्तिसुत' एवं मानसी शर्मा को पुरस्कृत करने के साथ ही तपेश्वर सिंह भाटी, स्नेहलता शर्मा, धनराज टांक, गोपालसिंह सोलंकी को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम संयोजक नहुष व्यास ने बताया कि इस अवसर पर वरिष्ठ कलमकार जितेंद्र निर्मोही की काव्यकृति 'कुरजां राणी छंद रचै' का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर डॉ. चारण को मिले प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार से नागौर, डीडवाना, लाडनूँ, कुचामन के साहित्यिक जगत में खुशी की लहर है।

इस उपलब्धि पर वरिष्ठ कवि लक्ष्मण दान कविया, पवन पहाड़िया, गजेंद्र गाँधी, एड.अजीतसिंह राठौड़, डॉ. सुरेंद्र कागट, प्रो. जहाँगीररहमान कुरैशी, सुखदेव सिंह गाडण, श्रीराम वैष्णव, संवालदान कविया, प्रहलाद सिंह झोरड़ा, सत्यपाल सांदू, विनोद सेन, कैलाश सोलंकी, गोविंदसिंह कविया, फत्तूराम छाबा, रुचिर पारीक सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य-प्रेमियों ने डॉ. गजादान चारण को बधाई एवं शुभकामनाएं संप्रेषित की।

वरिष्ठ संवाददाता अब्दुल समद राही कि रिपोर्ट