क्‍या किसी दबाव में आकर उद्धव ठाकरे ने छोड़ी सीएम पद की दावेदारी? जानें क्‍या बोले संजय राउत

शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सहयोगियों से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की अपील का बचाव किया और इसके पीछे दबाव की राजनीति के दावों को खारिज कर दिया। शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने संवाददाताओं से कहा कि उद्धव ठाकरे ने दिल की उदारता दिखाई है। यह दबाव की राजनीति नहीं थी। इस रुख से महाराष्ट्र को फायदा होगा। इसे भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे ने छोड़ दी सीएम की कुर्सी की उम्मीद! बोले- चेहरा कोई हो, मैं साथ दूंगा क्योंकि मुझे गद्दारों को जवाब देना हैसंजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे को आगे आने की जरूरत नहीं है, वो 2019 में भी आगे नहीं आए, सबने मिलकर उन्हें सीएम बनाया था। अब 2024 की बात करें तो उद्धव ठाकरे ने कभी नहीं कहा कि मैं सीएम बनूंगा, कल का भाषण सुनिए। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस एनसीपी के पास कोई चेहरा है तो उसे सामने लाएं, उद्धव ठाकरे उस चेहरे का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की जनता के दिल में हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे के फार्मूले को लेकर एमवीए सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है।इससे पहले महाविकास आघाडी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने ऐलान करते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य के आत्मसम्मान की रक्षा की लड़ाई होंगे। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद को लेकर कहा कि महा विकास अघाड़ी का CM चेहरा तय हो, मैं उसका समर्थन करूंगा। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) अपना सीएम चेहरा सुझाएं, मैं उसका समर्थन करूंगा क्योंकि हमें महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए काम करना है और मैं इन '50 खोखों' और 'गद्दारों' को जवाब देना चाहता हूं कि लोग हमसे चाहते हैं।  इसे भी पढ़ें: आगामी विधानसभा चुनावों में Shiv Sena के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, MVA भी अपना दांव चलने को तैयारठाकरे ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के अनुभव के बाद हमारा मानना ​​है कि हमें गठबंधन में सबसे ज़्यादा विधायक वाली पार्टी को सीएम पद देने की नीति नहीं अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कई चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन में हमने अनुभव किया है कि ज़्यादा से ज़्यादा विधायक बनाने के लिए पार्टियाँ खुद ही अपने दूसरे सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करती हैं। इसलिए मैं इस बात के पक्ष में नहीं हूँ कि सबसे ज़्यादा विधायक वाली पार्टी को सीएम पद मिलना चाहिए। 

क्‍या किसी दबाव में आकर उद्धव ठाकरे ने छोड़ी सीएम पद की दावेदारी? जानें क्‍या बोले संजय राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सहयोगियों से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की अपील का बचाव किया और इसके पीछे दबाव की राजनीति के दावों को खारिज कर दिया। शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने संवाददाताओं से कहा कि उद्धव ठाकरे ने दिल की उदारता दिखाई है। यह दबाव की राजनीति नहीं थी। इस रुख से महाराष्ट्र को फायदा होगा।
 

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संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे को आगे आने की जरूरत नहीं है, वो 2019 में भी आगे नहीं आए, सबने मिलकर उन्हें सीएम बनाया था। अब 2024 की बात करें तो उद्धव ठाकरे ने कभी नहीं कहा कि मैं सीएम बनूंगा, कल का भाषण सुनिए। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस एनसीपी के पास कोई चेहरा है तो उसे सामने लाएं, उद्धव ठाकरे उस चेहरे का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की जनता के दिल में हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे के फार्मूले को लेकर एमवीए सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है।

इससे पहले महाविकास आघाडी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने ऐलान करते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य के आत्मसम्मान की रक्षा की लड़ाई होंगे। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद को लेकर कहा कि महा विकास अघाड़ी का CM चेहरा तय हो, मैं उसका समर्थन करूंगा। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) अपना सीएम चेहरा सुझाएं, मैं उसका समर्थन करूंगा क्योंकि हमें महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए काम करना है और मैं इन '50 खोखों' और 'गद्दारों' को जवाब देना चाहता हूं कि लोग हमसे चाहते हैं। 
 

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ठाकरे ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के अनुभव के बाद हमारा मानना ​​है कि हमें गठबंधन में सबसे ज़्यादा विधायक वाली पार्टी को सीएम पद देने की नीति नहीं अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कई चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन में हमने अनुभव किया है कि ज़्यादा से ज़्यादा विधायक बनाने के लिए पार्टियाँ खुद ही अपने दूसरे सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करती हैं। इसलिए मैं इस बात के पक्ष में नहीं हूँ कि सबसे ज़्यादा विधायक वाली पार्टी को सीएम पद मिलना चाहिए।