बोरवेल में गिरे 4 साल के मासूम की मौत: देसी जुगाड़ से 6 घंटे में निकाला शव; 100 फीट गहराई में फंसा था..

बोरवेल में गिरे 4 साल के मासूम की मौत: देसी जुगाड़ से 6 घंटे में निकाला शव; 100 फीट गहराई में फंसा था..

बाड़मेर | गुड़ामालानी बाड़मेर के गुड़ामालानी क्षेत्र में बुधवार शाम हुए बोरवेल हादसे में 4 साल के मासूम की मौत हो गई। बच्चा पुराने बोरवेल में गिर गया था, जो पानी से भरा हुआ था।

 रात करीब 10 बजे, देसी जुगाड़ तकनीक की मदद से उसका शव बाहर निकाला गया। रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व जालोर के मेड़ा निवासी देसी तकनीक विशेषज्ञ माधाराम ने किया। बच्चा करीब 100 फीट की गहराई में फंसा था। रेस्क्यू टीमों ने कैमरे की मदद से उसकी मूवमेंट पर नजर रखी, लेकिन पानी भरे होने की वजह से साफ इमेज नहीं मिल पा रही थी।

खेलते-खेलते हुआ हादसा- अर्जुन की ढाणी निवासी डालूराम के खेत में यह हादसा हुआ। खेत में 3 दिन से नए बोरवेल का काम चल रहा था क्योंकि पुराने बोरवेल का पानी खारा था। डालूराम का पोता नरेश (4) पुत्र पप्पूराम घर के पास खेलते-खेलते खुले बोरवेल में गिर गया।

 रेस्क्यू ऑपरेशन का संघर्ष- बच्चे के गिरने की खबर मिलते ही प्रशासन और पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची। शुरुआती कोशिशों में असफलता मिलने के बाद, देसी तकनीक विशेषज्ञ माधाराम को बुलाया गया।

उन्होंने PVC पाइप, रस्सी और तार का इस्तेमाल करते हुए करीब 3 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद बच्चे को बाहर निकाला। लेकिन दुर्भाग्यवश तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।

 घटनास्थल पर मातम का माहौल- घटना के बाद बच्चे की मां मूली देवी और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पिता पप्पूराम, जो पंजाब में ड्राइवरी का काम करते हैं, सूचना मिलते ही बाड़मेर के लिए रवाना हो गए।

 देसी जुगाड़ तकनीक की अहम भूमिका- रेस्क्यू ऑपरेशन में जालोर के माधाराम और उनकी टीम ने देसी तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने PVC पाइप, तार और लोरिंग मशीन की मदद से बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश की। माधाराम ने बताया कि उन्होंने इस तकनीक से पहले भी कई बच्चों को बचाया है।

 स्थानीय प्रशासन की तत्परता- घटना के दौरान बाड़मेर के एसपी नरेंद्र सिंह मीणा और एसडीएम केशव कुमार मीणा मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन का निरीक्षण किया और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमों को बुलाने का निर्देश दिया।

 घटनास्थल पर उमड़ी भीड़- बच्चे के गिरने की खबर सुनते ही आसपास के ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए। कई लोग प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

 बोरवेल हादसों पर सवाल- यह हादसा बोरवेल की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है। खुले बोरवेल मासूमों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर ऐसी लापरवाहियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है।

वरिष्ठ संवाददाता ओमप्रकाश बोराणा कि रिपोर्ट