इस बार चोटिला दरगाह पीर दुल्लेशाह बाबा रह.अ. के सालाना तीन दिवसीय उर्स मे सांसद शायर इमरान प्रतापगढ़ी के शामिल होने कि सुचना..।
पाली.. हर साल कि तरह इस साल भी हजरत पीर दुल्लेशाह बाबा रह.अ. चोटीला दरगाह का सालाना उर्स पुरी अकिदत और धुमधाम से मनाया जाएगा।
हर साल दिपावली के अगले दिन से चोटिला दरगाह पाली का उर्स शुरू होता है जो तीन दिनो तक चलता है ।
पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा उर्स मेला माना जाता है और शायद ये एकमात्र दरगाह है जहाँ तीन दिवसीय उर्स मनाया जाता है। जोधपुर पाली एंव आस पास के जिलो एंव क्षेत्रो से भारी संख्या मे जायरीन उर्स मे शिरकत करते है वे दरगाह पर अपनी अकिदत के फुल पेश कर मंन्नते मागते है।
दरगाह कमेटी द्वारा उर्स का बहोत भव्य पैमाने पर आयोजन किया जाता है जहाँ उर्स कि व्यवस्थाओ और मेले के आयोजन कि कई दिनो पुर्व तैयारीयां शुरू हो जाती है।
उर्स तीन दिवसीय होने के कारण दरगाह परिसर के आसपास मौजूद बड़े मैदान मे टेन्ट का एक छोटा मोटा शहर बस जाता है जहाँ जायरीन अपने सभी परिवार और मित्रो रिश्तेदारो के साथ आते है और तीन दिन वही रहते है।
उर्स मे लगने वाले मेले मे खानेपीने कि दुकानो के अलावा बच्चो के खिलोनो कपडो आर्टीफिशियल गहनो सहीत बडी संख्या मे झुले एंव अन्य मनोरंजन कि सुविधाएं लगती है ।
जहाँ जायरीन जम कर खरीददारी करते है और मेले का आनंद लेते है। कल शोसल मिडिया पर शेयर कि गयी कुछ पोस्टो से पता चला कि इस बार उर्स मे मशहूर शायर कवि और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के मुख्य अतिथी के रूप मे शामिल होने कि सुचना से जायरीनों सहीत मुस्लिम समुदाय मे उर्स को लेकर उत्सुकता और बढ़ गयी है।
साथ ही शोसल मिडिया पर पोस्ट हुई तस्वीरों मे सिर्फ नेताओ और सांसद इमरान प्रतापगढ़ी कि ही तस्वीरे देख कुछ लोगो ने दरगाह कि फोटो का नही होना और इस बार कव्वाल कौन आ रहा है इसकी सुचना नही होने से नाराज भी दिखे क्योंकि उन्होंने जो शोसल मिडिया पर कमेन्ट किये उनमे उनकी नाराजगी जाहिर हो रही थी ।
दरगाह शरीफ पर उर्स के दौरान देश के जानेमाने कव्वाल अपने कलाम पेश कर चुके है। तीन दिन के उर्स मे आयोजन कुछ इस प्रकार से होते है..
उर्स के पहले दिन दरगाह हजरत पीर दुल्लेशाह बाबा के मजार पर चादर पेश कि जाती है वही दुसरे दिन रात को कव्वाली का आयोजन होता है और तीसरे दिन विभिन्न प्रकार कि प्रतियोगिता आयोजित कि जाती है ।
अब जायरीनों को उर्स शुरू होने का इंतजार है जब वो तीन दिन वहाँ जा कर दरगाह पर दुआए माँग सके और मेले का आनंद उठा सके।