Uttar Pradesh में संघ के सक्रिय होने से क्या बीजेपी को फिर मिलेगी नई उड़ान
Uttar Pradesh में संघ के सक्रिय होने से क्या बीजेपी को फिर मिलेगी नई उड़ान
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी-मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच जो दूरियां नजर आईं थी, उस पर दोनों तरफ से देश और हिन्दू हित को ध्यान में रखते हुए विराम लगा दिया है। अब एक बार फिर से संघ और बीजेपी एक साथ काम करते नजर आयेंगे, लोकसभा चुनाव के समय जो आरएसएस ‘प्रवास’ में चला गया था वह अब 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में बीजेपी के लिये संजीवनी बनने को तैयार है, जिसके चलते यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि उप चुनाव में बीजेपी विपक्ष के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति में रह सकती है। इसके अलावा आम चुनाव में शिकस्त के बाद से भाजपा के भीतर मचे घमासान को थामने के लिए भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रणनीति बनाना शुरू कर दी है। यह सब बातें प्रखर हिन्दूवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित ‘हिन्दू गौरव दिवस’ के दौरान सामने आईं। इसी कड़ी में गत दिवस मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ और संघ के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में सरकार, संघ और भाजपा संगठन के बीच समन्वय को लेकर एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही उप चुनाव की रणनीति, निकायों और बोर्डों में पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई और तय हुआ है कि उप चुनाव में भाजपा के साथ संघ कार्यकर्ताओं को भी तैयारियों में भागीदार बनाया जाए। इस दौरान सबसे अधिक चर्चा सरकार और संगठन के कद को लेकर छिड़ी रार को लेकर हुई। संघ की ओर से इस बात पर चिंता जताई जताई गई कि अगर यही स्थिति रही तो आगे के सियासी सफर में सबसे अधिक नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि संघ ने नेताओं को ऐसी स्थिति से बचने की सलाह दी है। उप चुनाव के साथ ही सरकार और संगठन के आपसी समन्वय पर कहा गया है कि पार्टी के सभी बड़े नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि यदि कहीं पर आपसी मतभेद या मनभेद की स्थिति हो तो उसे आमने-सामने बैठकर समाधान कर लिया जाए। इसे भी पढ़ें: एक हत्याकांड से सहारे राहुल गांधी ने की फिर हिन्दुओं को बांटने की साजिशदोनों संगठनों के बीच दूरियां मिटने के बाद अब संघ और बीजेपी बूथ प्रबंधन को और मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिये बूथवार छोटी-छोटी बैठकें करके जनता के बीच लगातार संवाद करने की रणनीति पर हुई चर्चा में कहा गया कि विपक्ष द्वारा आरक्षण और संविधान को लेकर बनाए जा रहे नेरेटिव को खत्म करने के लिए लोगों के बीच दूध का दूध और पानी का पानी करना जरूरी है। यह भी तय किया गया है कि विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे पीडीए के भ्रमजाल को तोड़ने के लिए भी बूथवार हर समाज के लोगों को जोड़कर जनता के बीच सरकार और पार्टी के नजरिए को रखा जायेगा।
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी-मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच जो दूरियां नजर आईं थी, उस पर दोनों तरफ से देश और हिन्दू हित को ध्यान में रखते हुए विराम लगा दिया है। अब एक बार फिर से संघ और बीजेपी एक साथ काम करते नजर आयेंगे, लोकसभा चुनाव के समय जो आरएसएस ‘प्रवास’ में चला गया था वह अब 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में बीजेपी के लिये संजीवनी बनने को तैयार है, जिसके चलते यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि उप चुनाव में बीजेपी विपक्ष के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति में रह सकती है। इसके अलावा आम चुनाव में शिकस्त के बाद से भाजपा के भीतर मचे घमासान को थामने के लिए भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रणनीति बनाना शुरू कर दी है। यह सब बातें प्रखर हिन्दूवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित ‘हिन्दू गौरव दिवस’ के दौरान सामने आईं। इसी कड़ी में गत दिवस मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ और संघ के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में सरकार, संघ और भाजपा संगठन के बीच समन्वय को लेकर एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही उप चुनाव की रणनीति, निकायों और बोर्डों में पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई और तय हुआ है कि उप चुनाव में भाजपा के साथ संघ कार्यकर्ताओं को भी तैयारियों में भागीदार बनाया जाए।
इस दौरान सबसे अधिक चर्चा सरकार और संगठन के कद को लेकर छिड़ी रार को लेकर हुई। संघ की ओर से इस बात पर चिंता जताई जताई गई कि अगर यही स्थिति रही तो आगे के सियासी सफर में सबसे अधिक नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि संघ ने नेताओं को ऐसी स्थिति से बचने की सलाह दी है। उप चुनाव के साथ ही सरकार और संगठन के आपसी समन्वय पर कहा गया है कि पार्टी के सभी बड़े नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि यदि कहीं पर आपसी मतभेद या मनभेद की स्थिति हो तो उसे आमने-सामने बैठकर समाधान कर लिया जाए।
दोनों संगठनों के बीच दूरियां मिटने के बाद अब संघ और बीजेपी बूथ प्रबंधन को और मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिये बूथवार छोटी-छोटी बैठकें करके जनता के बीच लगातार संवाद करने की रणनीति पर हुई चर्चा में कहा गया कि विपक्ष द्वारा आरक्षण और संविधान को लेकर बनाए जा रहे नेरेटिव को खत्म करने के लिए लोगों के बीच दूध का दूध और पानी का पानी करना जरूरी है। यह भी तय किया गया है कि विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे पीडीए के भ्रमजाल को तोड़ने के लिए भी बूथवार हर समाज के लोगों को जोड़कर जनता के बीच सरकार और पार्टी के नजरिए को रखा जायेगा।