SDM के समर्थन में उतरीं डीना डाबी, थप्पड़ कांड पर बढ़ता विवाद, राजस्थान में कर्मचारियों की हड़ताल से ठप सरकारी कामकाज..
राजस्थान में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा द्वारा ऑन ड्यूटी SDM को थप्पड़ मारने का प्रकरण अब बड़ा आंदोलन बनता जा रहा है। इस घटना के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
बाड़मेर की जिलाधिकारी (DM) टीना डाबी ने इस घटना पर गहरी नाराज़गी जताई और कहा कि ऑन ड्यूटी अधिकारी के साथ मारपीट करना बेहद निंदनीय और अस्वीकार्य है। डीना डाबी ने खुले तौर पर SDM का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे घटनाओं से अधिकारीयों के मनोबल पर असर पड़ता है और यह राज्य प्रशासनिक सेवा के नियमों के भी विरुद्ध है।
इस घटना के विरोध में राजस्थान में 927 RAS अधिकारी पेन डाउन हड़ताल पर चले गए हैं। उनके समर्थन में 10 हजार पटवारी, 13 हजार रेवेन्यू कर्मचारी, 600 तहसीलदार और 15 हजार ग्राम सेवक भी हड़ताल पर चले गए हैं। इन सभी कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया है जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी कामकाज पर असर: राज्यभर में सरकारी कार्यालयों और तहसीलों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका है।
आम नागरिकों के दस्तावेज़ संबंधी कार्य, भूमि रिकॉर्ड में परिवर्तन, और पंचायत से जुड़े अन्य कार्य भी बाधित हैं। हड़ताल से प्रभावित विभागों में रेवेन्यू, तहसील, पटवारी, ग्राम सेवक, और पंचायत से जुड़े सभी कार्यालय शामिल हैं।
प्रकरण का विरोध बढ़ता जा रहा है: RAS अधिकारियों का कहना है कि यह उनके आत्म-सम्मान और सुरक्षा का मामला है। वे मांग कर रहे हैं कि दोषी उम्मीदवार पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। राजनीतिक हलकों में हलचल: यह प्रकरण अब राजनीतिक रंग भी पकड़ रहा है।
राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस घटना पर जल्द से जल्द कड़ा रुख अपनाए। इस प्रकरण ने प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों हलकों में हलचल मचा दी है। आम जनता पर प्रभाव: हड़ताल के चलते आम नागरिकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
राजस्व विभाग से जुड़े सभी कार्य ठप होने के कारण लोगों की जमीनों, संपत्तियों, और अन्य दस्तावेजों के मामलों में विलंब हो रहा है। राज्य में प्रशासनिक गतिविधियों के ठप होने से सभी क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
अधिकारियों का कहना: हड़ताल पर गए RAS अधिकारियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे और अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए यह आंदोलन जारी रखेंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार: इस मुद्दे को लेकर अब राज्य सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। सरकार पर अधिकारियों और कर्मचारियों की मांगों को स्वीकारने का दबाव बढ़ रहा है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह प्रकरण और भी गंभीर रूप ले सकता है।
वरिष्ठ संवाददाता ओमप्रकाश बोराणा कि रिपोर्ट