ब्याज सब्सिडी वाली समानीकरण योजना को आगे बढ़ाने के पक्ष में है Commerce Ministry
ब्याज सब्सिडी वाली समानीकरण योजना को आगे बढ़ाने के पक्ष में है Commerce Ministry
नयी दिल्ली । वाणिज्य मंत्रालय ने देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात से पहले और बाद के रुपये के कर्ज पर ब्याज समानीकरण योजना को आगे बढ़ाने की मांग की है। योजना की मियाद इसी महीने समाप्त हो रही है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि ब्याज समानीकरण सहित कुछ योजनाएं पूरी होने के विभिन्न चरणों में हैं। इसीलिए उनका नवीनीकरण होनाहै। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस बारे में व्यय विभाग के साथ चर्चा अब भी जारी है।’’ ब्याज समानीकरण योजना के बारे में विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा, ‘‘इसे आगे बढ़ाने का एक प्रस्ताव है और हमें उम्मीद है कि यह अगले एक महीने में आ जाना चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) के लिए निर्यात से पहले और बाद में रुपये में निर्यात ऋण पर योजना को दो महीने के लिए बढ़ाया था। अब वाणिज्य मंत्रालय अन्य निर्यातकों के लिए भी योजना की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा है। वैश्विक स्तर पर जारी संकट के बीच यह योजना चिन्हित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी एमएसएमई निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी ब्याज दर पर रुपये में कर्ज का लाभ उठाने में मदद करती है। निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में रुपये में कर्ज के लिए ब्याज समानीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है। योजना के तहत कोष सीमित है। इसका लाभ प्रति निर्यातक प्रति आयात-निर्यात कोड (आईसी) 10 करोड़ रुपये सालाना सीमित है। यह योजना एक अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी। शुरुआत में यह 31 मार्च, 2020 तक पांच साल के लिए वैध थी। इसके बाद भी इसे जारी रखा गया। सरकार ने अप्रैल, 2023 से 30 नवंबर, 2024 तक योजना के तहत 2,641.28 करोड़ रुपये वितरित किये हैं। जबकि आवंटित बजट 2,932 करोड़ रुपये था।2022-23 में 3,118 करोड़ रुपये और 2021-22 में 3,488 करोड़ रुपये वितरित किये गये। निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) की समीक्षा पर सारंगी ने कहा कि यह सितंबर तक है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान हम इसकी समीक्षा करेंगे। समीक्षा वित्त सचिव की अध्यक्षता में होती है।
नयी दिल्ली । वाणिज्य मंत्रालय ने देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात से पहले और बाद के रुपये के कर्ज पर ब्याज समानीकरण योजना को आगे बढ़ाने की मांग की है। योजना की मियाद इसी महीने समाप्त हो रही है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि ब्याज समानीकरण सहित कुछ योजनाएं पूरी होने के विभिन्न चरणों में हैं। इसीलिए उनका नवीनीकरण होनाहै। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस बारे में व्यय विभाग के साथ चर्चा अब भी जारी है।’’
ब्याज समानीकरण योजना के बारे में विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा, ‘‘इसे आगे बढ़ाने का एक प्रस्ताव है और हमें उम्मीद है कि यह अगले एक महीने में आ जाना चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) के लिए निर्यात से पहले और बाद में रुपये में निर्यात ऋण पर योजना को दो महीने के लिए बढ़ाया था। अब वाणिज्य मंत्रालय अन्य निर्यातकों के लिए भी योजना की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर जारी संकट के बीच यह योजना चिन्हित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी एमएसएमई निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी ब्याज दर पर रुपये में कर्ज का लाभ उठाने में मदद करती है। निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में रुपये में कर्ज के लिए ब्याज समानीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है। योजना के तहत कोष सीमित है। इसका लाभ प्रति निर्यातक प्रति आयात-निर्यात कोड (आईसी) 10 करोड़ रुपये सालाना सीमित है। यह योजना एक अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी।
शुरुआत में यह 31 मार्च, 2020 तक पांच साल के लिए वैध थी। इसके बाद भी इसे जारी रखा गया। सरकार ने अप्रैल, 2023 से 30 नवंबर, 2024 तक योजना के तहत 2,641.28 करोड़ रुपये वितरित किये हैं। जबकि आवंटित बजट 2,932 करोड़ रुपये था।2022-23 में 3,118 करोड़ रुपये और 2021-22 में 3,488 करोड़ रुपये वितरित किये गये। निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) की समीक्षा पर सारंगी ने कहा कि यह सितंबर तक है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान हम इसकी समीक्षा करेंगे। समीक्षा वित्त सचिव की अध्यक्षता में होती है।