बाल मन में खुशी का संचार करती कविताएं : तुम गुलाब बन जाओ..

बाल मन में खुशी का संचार करती कविताएं : तुम गुलाब बन जाओ..

सुकीर्ति भटनागर वरिष्ठ बाल साहित्य लेखक है। बाल साहित्य लेखक के रूप में आपकी पहचान पूरे भारत में है, होगी क्यों नहीं आपने बाल साहित्य लेखन में खूब काम कर नाम कमाया है। अब तक आपके 18 बालकहानी संग्रह पांच बाल कविता संग्रह सात बाल उपन्यास के साथ ही बाल साहित्य की 6 पुस्तके पंजाबी में प्रकाशित हुई है।

 और कुछ बाल कहानियों का मराठी में अनुवाद हुआ है। इनका चर्चित बाल उपन्यास "अमरो" का कन्नड़ भाषा में अनुवाद हुआ है। उत्कृष्ट बाल साहित्य लेखन के लिए सौ के लगभग राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया गया है। मेरा सौभाग्य है कि आपके साथ कई राष्ट्रीय कार्यक्रम में शिरकत की है।

 और श्री नाथ जी की नगरी नाथद्वारा, चित्तौड़गढ़, अलवर और उत्तराखंड की संस्थाओं द्वारा मुझे भी सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ है।

वैसे तो दर्जन भर आपकी उत्कृष्ट बाल साहित्य की पुस्तकें मुझे प्राप्त हुई और पढ़ने का सौभाग्य मिला।

हाल ही में प्रकाशित बाल कविता संग्रह "तुम गुलाब बन जाओ" प्राप्त हुआ है। जिसमें 40 कविताओं के गुलाब के फूल गुलदस्ते में सजाए गए है। संग्रह की हर कविता बच्चों की जुबान पर चढ़कर मिश्री सी घोलती है।

यह मीठी-मीठी सुंदर कविताएं न केवल बच्चों का मनोरंजन करती है अपितु प्रेरणा के साथ ज्ञानवर्धन करती है। श्रीमती भटनागर ने यह विशेष ध्यान रखा है कि किसी भी विषय विशेष का ज्ञान बच्चों से छूट ना जाए इसलिए सभी विषय को इस संग्रह में सम्मिलित किया गया है।

 संग्रह के शुरुआत में अपना सारा लेखन बच्चों को अर्पित करते हुए उन्होंने बच्चों को जग की फुलवारी कहकर समर्पण कर मन मोह लिया जैसे- भोले-भाले कितने प्यारे, बच्चे छैल छबीले। हंसते और हंसाते सबको, लगते रंग रंगीले ।

वहीं अंतिम कविता तुम गुलाब बन जाऊं में गुलाब की उपयोगिता बताते हुए उनके जैसा बनने की सीख दी है। श्रीमती भटनागर की सभी कविताओं में एक मासूम बच्चा है, उनका बचपन है, उनके सपने है, उनके चारों ओर का वातावरण है। साथ ही उसे कैसी अपनी दुनिया बनानी है के गुर भी है।

 सुप्रसिद्ध बाल साहित्य लेकर डॉक्टर नागेश पांडे संजय के द्वारा पुस्तक की भूमिका में संग्रह की तमाम कविताओं का बखूबी चित्रण कर उसमें जान फूंक दी है। साहित्यागार से छपी इस पुस्तक का कागज, छपाई और आवरण काबिले तारीफ है।

 उम्मीद है बाल पाठकों को यह पुस्तक पसंद आएगी। बालमन में खुशी का संचार करती कविताओं के संग्रह के लिए बड़ी बहन सुकीर्ति भटनागर को खूब बधाई और शुभकामनाएं।

आपकी कलम इसी तरह बाल साहित्य जगत में कीर्तिमान स्थापित करती रहेगी।

 ऐसा मुझे विश्वास है। पुस्तक : तुम गुलाब बन जाओ लेखक : सुकीर्ति भटनागर विधा : बाल कविता पृष्ठ : 96, मूल्य : 150/- प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर समीक्षक : अब्दुल समद राही अध्यक्ष प्रबंध निदेशक शबनम साहित्य समिति, सोजत सिटी, राजस्थान मो. 9251568499