जेएनयू के मूल्यों को सुरक्षित रखाना येचुरी को सच्ची श्रद्धांजलि : प्रकाश करात

माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने शनिवार को कहा कि सीताराम येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन में जो कौशल सीखा था, उसका उन्होंने अच्छा उपयोग किया और वह एक राष्ट्रीय नेता तथा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता एवं संघवाद के लिए एक अथक योद्धा के रूप में उभरे। यहां एक शोक सभा में करात ने कहा कि येचुरी की स्मृति को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि जेएनयू के मूल्यों को बचाया और सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने इस बात पर दुख जताते हुए कहा कि जिस जेएनयू को बनाने के लिए ‘‘हम सबने काम किया है उसे कमजोर और नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।’’ येचुरी का लम्बी बीमारी के बाद 12 सितम्बर को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। करात येचुरी के साथ इस प्रमुख संस्थान में छात्र संघ को आकार देने वालों में शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू में संघर्ष की भावना अब भी जारी है। उन्होंने कहा, सीताराम, हमारी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में पिछले एक दशक में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के लिए एक अथक सेनानी रहे हैं और सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को इकट्ठा करने में (उन्होने) एक प्रमुख भूमिका निभायी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस हिंदुत्ववादी, निरंकुश, सांप्रदायिक शासन का बड़े पैमाने पर विरोध किया जाए।

माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने शनिवार को कहा कि सीताराम येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन में जो कौशल सीखा था, उसका उन्होंने अच्छा उपयोग किया और वह एक राष्ट्रीय नेता तथा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता एवं संघवाद के लिए एक अथक योद्धा के रूप में उभरे।

यहां एक शोक सभा में करात ने कहा कि येचुरी की स्मृति को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि जेएनयू के मूल्यों को बचाया और सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने इस बात पर दुख जताते हुए कहा कि जिस जेएनयू को बनाने के लिए ‘‘हम सबने काम किया है उसे कमजोर और नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।’’

येचुरी का लम्बी बीमारी के बाद 12 सितम्बर को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। करात येचुरी के साथ इस प्रमुख संस्थान में छात्र संघ को आकार देने वालों में शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू में संघर्ष की भावना अब भी जारी है।

उन्होंने कहा, सीताराम, हमारी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में पिछले एक दशक में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के लिए एक अथक सेनानी रहे हैं और सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को इकट्ठा करने में (उन्होने) एक प्रमुख भूमिका निभायी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस हिंदुत्ववादी, निरंकुश, सांप्रदायिक शासन का बड़े पैमाने पर विरोध किया जाए।