Vishwakhabram: Dhaka University के साधारण छात्र थे Nahid Islam और Asif Mahmud, दोनों ने देश की सत्ता पलट दी और सरकार में शामिल हो गये

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में कामकाज संभाल लिया है। हिंसा और अराजकता की स्थिति से जूझ रहे बांग्लादेश को वापस पटरी पर लाना उनके लिए बड़ी चुनौती है। साथ ही जल्द ही चुनाव करा कर नई सरकार को कामकाज सौंपना भी उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। देखना होगा कि वह कितने सफल हो पाते हैं। वैसे शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद उपजी परिस्थितियों को देखते हुए बांग्लादेश को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने का भार सिर्फ मोहम्मद यूनुस ही नहीं बल्कि उनकी 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद के कंधों पर भी है। हम आपको बता दें कि इस सलाहकार परिषद में छात्र आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे मोहम्मद नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी शामिल हैं। इसके अलावा सलाहकार परिषद में महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम, स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय और पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन शामिल किये गये हैं। हम आपको बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक निश्चित अवधि के लिए देश का नेतृत्व करेगी और निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए चुनाव की देखरेख करेगी। देखा जाये तो अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सहयोग के लिए बनाई गयी यह सलाहकार परिषद एक तरह से बांग्लादेश की नई कैबिनेट के रूप में काम करेगी। इस सलाहकार परिषद में वैसे तो एक से बढ़कर एक अनुभवी लोग शामिल किये गये हैं लेकिन इसमें दो नाम ऐसे हैं जिन्हें प्रशासनिक कामकाज का कोई अनुभव नहीं है और शायद पिछले सप्ताह तक उन दोनों ने सोचा भी नहीं होगा कि वह जल्द ही सरकार चलाने वाली टीम में शामिल हो जाएंगे। हम बात कर रहे हैं छात्र नेताओं- मोहम्मद नाहिद इस्लाम और आफिस महमूद की।इसे भी पढ़ें: Bangladesh में नया राज, रिश्तों का नया आगाज, वो खास कनेक्शन जो यूनुस को भारत से जोड़ सकता है26-वर्षीय इन दोनों युवाओं ने अंतरिम सरकार के सबसे कम उम्र के सलाहकारों के रूप में जब शपथ ली तो एक नया रिकॉर्ड बन गया। हम आपको बता दें कि यह सलाहकार पद मंत्री पद के समकक्ष है और बांग्लादेश में इससे पहले कभी इतनी कम उम्र के मंत्री नहीं रहे। हम आपको बता दें कि जब 1 जुलाई को आरक्षण विरोधी आंदोलन शुरू हुआ था तब नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद ढाका विश्वविद्यालय के साधारण छात्र मात्र थे। इन दोनों छात्रों ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर उस आंदोलन को आगे बढ़ाने और उसे पूरे देश में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धीरे-धीरे छात्रों का आंदोलन जन विद्रोह में बदल गया और शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और 5 अगस्त को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।विरोध प्रदर्शन के दौरान, इन दोनों छात्र नेताओं ने तमाम यातनाएं सहन कीं लेकिन सिर झुकाने या अधिकारों की लड़ाई से पीछे हटने से इंकार कर दिया था। इन दोनों छात्रों की ओर लोगों का ध्यान तब आकर्षित हुआ जब कोटा सुधार आंदोलन को दबाने के लिए हसीना सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के पहले दौर के दौरान उन्हें पुलिस द्वारा उठा लिया गया था। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि कैसे उन्हें प्रताड़ित किया गया और बाद में सड़क किनारे छोड़ दिया गया। बताया जाता है कि बाद में डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) के सदस्यों ने चार अन्य छात्र समन्वयकों के साथ इन दोनों छात्र नेताओं को तब फिर से उठाया, जब उनका राजधानी के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन तब भी पीछे हटने के बजाय, उन्होंने अन्य छात्र नेताओं की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और देश भर में छात्रों पर क्रूर कार्रवाई के विरोध में 30 जुलाई को डीबी कार्यालय पर ही भूख हड़ताल शुरू कर दी थी।हसीना सरकार ने इन छात्र नेताओं को हिरासत में रखने के दौरान इन पर दबाव बढ़ाया और इनसे एक वीडियो जारी करवाया जिसमें नाहिद और आसिफ सहित छह समन्वयकों ने छात्र आंदोलन को वापस लेने की घोषणा की। लेकिन वहां से रिहा होते ही उन्होंने बताया कि उन पर दबाव बनाकर यह वीडियो बनवाया गया था। इन छात्र नेताओं ने आंदोलन को जारी रखने की कसम खाई। उनकी दृढ़ता रंग लाई क्योंकि आंदोलन से जल्द ही जनता भी जुड़ गयी। बाद में आंदोलन के खिलाफ बढ़ती पुलिस की क्रूरता को देखते हुए छात्र नेताओं ने शेख हसीना के इस्तीफे की एक सूत्रीय मांग की घोषणा की, जिसने अंततः अवामी लीग के शासन को समाप्त कर दिया।इस तरह भेदभाव के खिलाफ लड़ाई शुरू करने वाले दो छात्र एक महीने में ही अंतरिम सरकार में सलाहकार बन गए। हम आपको बता दें कि नाहिद ढाका विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के स्नातकोत्तर छात्र हैं। उन्होंने 2016-2017 सत्र में विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। वह गणोतांत्रिक छात्र शक्ति (डीयू इकाई) के सदस्य सचिव भी हैं, जो नुरुल हक नूर के नेतृत्व में छात्र अधिकार परिषद से अलग हुए सदस्यों द्वारा गठित एक समूह है। इसके अलावा आसिफ ढाका विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान के छात्र हैं। नाहिद का करीबी सहयोगी, आसिफ गणोतांत्रिक छात्र शक्ति के संयोजक के रूप में कार्य करता है।सलाहकार के रूप में शपथ लेने के बाद, नाहिद और आसिफ, दोनों ने कहा कि वे लोगों के मतदान के अधिकार के लिए लड़ेंगे और देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने समाज से भेदभाव और अन्याय को खत्म करने की भी कसम खाई। नाहिद ने कहा, "अगर बांग्लादेश अपने युवाओं के हाथ में है तो देश अपने लक्ष्य से नहीं भटकेगा।" उन्होंने कहा कि लोगों ने युवाओं पर भरोसा किया और (आंदोलन के दौरान) सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कहा कि युवाओं ने देश के लिए अपना खून दिया। उन्होंने कहा कि अगर लोग सोचते हैं कि युवाओं को कमान संभालनी चाहिए, तो वे तैयार हैं।नाहिद ने साथ ही कहा कि अंतरिम सरकार में युवा और अनुभवी लोगों का मिश्रण है क्योंकि इसका प्रतिनिधित

Vishwakhabram: Dhaka University के साधारण छात्र थे Nahid Islam और Asif Mahmud, दोनों ने देश की सत्ता पलट दी और सरकार में शामिल हो गये
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में कामकाज संभाल लिया है। हिंसा और अराजकता की स्थिति से जूझ रहे बांग्लादेश को वापस पटरी पर लाना उनके लिए बड़ी चुनौती है। साथ ही जल्द ही चुनाव करा कर नई सरकार को कामकाज सौंपना भी उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। देखना होगा कि वह कितने सफल हो पाते हैं। वैसे शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद उपजी परिस्थितियों को देखते हुए बांग्लादेश को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने का भार सिर्फ मोहम्मद यूनुस ही नहीं बल्कि उनकी 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद के कंधों पर भी है। हम आपको बता दें कि इस सलाहकार परिषद में छात्र आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे मोहम्मद नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी शामिल हैं। इसके अलावा सलाहकार परिषद में महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम, स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय और पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन शामिल किये गये हैं। हम आपको बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक निश्चित अवधि के लिए देश का नेतृत्व करेगी और निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए चुनाव की देखरेख करेगी। 

देखा जाये तो अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सहयोग के लिए बनाई गयी यह सलाहकार परिषद एक तरह से बांग्लादेश की नई कैबिनेट के रूप में काम करेगी। इस सलाहकार परिषद में वैसे तो एक से बढ़कर एक अनुभवी लोग शामिल किये गये हैं लेकिन इसमें दो नाम ऐसे हैं जिन्हें प्रशासनिक कामकाज का कोई अनुभव नहीं है और शायद पिछले सप्ताह तक उन दोनों ने सोचा भी नहीं होगा कि वह जल्द ही सरकार चलाने वाली टीम में शामिल हो जाएंगे। हम बात कर रहे हैं छात्र नेताओं- मोहम्मद नाहिद इस्लाम और आफिस महमूद की।

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26-वर्षीय इन दोनों युवाओं ने अंतरिम सरकार के सबसे कम उम्र के सलाहकारों के रूप में जब शपथ ली तो एक नया रिकॉर्ड बन गया। हम आपको बता दें कि यह सलाहकार पद मंत्री पद के समकक्ष है और बांग्लादेश में इससे पहले कभी इतनी कम उम्र के मंत्री नहीं रहे। हम आपको बता दें कि जब 1 जुलाई को आरक्षण विरोधी आंदोलन शुरू हुआ था तब नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद ढाका विश्वविद्यालय के साधारण छात्र मात्र थे। इन दोनों छात्रों ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर उस आंदोलन को आगे बढ़ाने और उसे पूरे देश में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धीरे-धीरे छात्रों का आंदोलन जन विद्रोह में बदल गया और शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और 5 अगस्त को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

विरोध प्रदर्शन के दौरान, इन दोनों छात्र नेताओं ने तमाम यातनाएं सहन कीं लेकिन सिर झुकाने या अधिकारों की लड़ाई से पीछे हटने से इंकार कर दिया था। इन दोनों छात्रों की ओर लोगों का ध्यान तब आकर्षित हुआ जब कोटा सुधार आंदोलन को दबाने के लिए हसीना सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के पहले दौर के दौरान उन्हें पुलिस द्वारा उठा लिया गया था। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि कैसे उन्हें प्रताड़ित किया गया और बाद में सड़क किनारे छोड़ दिया गया। बताया जाता है कि बाद में डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) के सदस्यों ने चार अन्य छात्र समन्वयकों के साथ इन दोनों छात्र नेताओं को तब फिर से उठाया, जब उनका राजधानी के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन तब भी पीछे हटने के बजाय, उन्होंने अन्य छात्र नेताओं की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और देश भर में छात्रों पर क्रूर कार्रवाई के विरोध में 30 जुलाई को डीबी कार्यालय पर ही भूख हड़ताल शुरू कर दी थी।

हसीना सरकार ने इन छात्र नेताओं को हिरासत में रखने के दौरान इन पर दबाव बढ़ाया और इनसे एक वीडियो जारी करवाया जिसमें नाहिद और आसिफ सहित छह समन्वयकों ने छात्र आंदोलन को वापस लेने की घोषणा की। लेकिन वहां से रिहा होते ही उन्होंने बताया कि उन पर दबाव बनाकर यह वीडियो बनवाया गया था। इन छात्र नेताओं ने आंदोलन को जारी रखने की कसम खाई। उनकी दृढ़ता रंग लाई क्योंकि आंदोलन से जल्द ही जनता भी जुड़ गयी। बाद में आंदोलन के खिलाफ बढ़ती पुलिस की क्रूरता को देखते हुए छात्र नेताओं ने शेख हसीना के इस्तीफे की एक सूत्रीय मांग की घोषणा की, जिसने अंततः अवामी लीग के शासन को समाप्त कर दिया।

इस तरह भेदभाव के खिलाफ लड़ाई शुरू करने वाले दो छात्र एक महीने में ही अंतरिम सरकार में सलाहकार बन गए। हम आपको बता दें कि नाहिद ढाका विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के स्नातकोत्तर छात्र हैं। उन्होंने 2016-2017 सत्र में विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। वह गणोतांत्रिक छात्र शक्ति (डीयू इकाई) के सदस्य सचिव भी हैं, जो नुरुल हक नूर के नेतृत्व में छात्र अधिकार परिषद से अलग हुए सदस्यों द्वारा गठित एक समूह है। इसके अलावा आसिफ ढाका विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान के छात्र हैं। नाहिद का करीबी सहयोगी, आसिफ गणोतांत्रिक छात्र शक्ति के संयोजक के रूप में कार्य करता है।

सलाहकार के रूप में शपथ लेने के बाद, नाहिद और आसिफ, दोनों ने कहा कि वे लोगों के मतदान के अधिकार के लिए लड़ेंगे और देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने समाज से भेदभाव और अन्याय को खत्म करने की भी कसम खाई। नाहिद ने कहा, "अगर बांग्लादेश अपने युवाओं के हाथ में है तो देश अपने लक्ष्य से नहीं भटकेगा।" उन्होंने कहा कि लोगों ने युवाओं पर भरोसा किया और (आंदोलन के दौरान) सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कहा कि युवाओं ने देश के लिए अपना खून दिया। उन्होंने कहा कि अगर लोग सोचते हैं कि युवाओं को कमान संभालनी चाहिए, तो वे तैयार हैं।

नाहिद ने साथ ही कहा कि अंतरिम सरकार में युवा और अनुभवी लोगों का मिश्रण है क्योंकि इसका प्रतिनिधित्व सभी मत के लोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन में भाग लेने वाले न केवल सरकार के हिस्से के रूप में काम करेंगे बल्कि सड़कों पर भी रहेंगे।'' उन्होंने कहा कि संयुक्त रूप से, हम देश को समृद्धि की ओर ले जाएंगे। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश के लोग लंबे समय से मतदान के अधिकार से वंचित हैं। सरकार का मुख्य उद्देश्य मतदान का अधिकार सुनिश्चित करके लोकतंत्र को बहाल करना है।" उन्होंने कहा कि जब तक चुनाव आयोग सहित अन्य संस्थानों में संरचनात्मक सुधार नहीं किया जाता तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना संभव नहीं है। पत्रकारों से बात करते हुए आसिफ ने कहा कि वे देश के सबसे युवा सलाहकारों के रूप में मिली चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम इस चुनौती को लेने के लिए तैयार हैं। फासीवादी सरकार के तहत सभी संस्थान बर्बाद हो गए थे। हमारा लक्ष्य इन संस्थानों में सुधार करके फासीवाद को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि प्रमुख दल पिछले 17 वर्षों में निरंकुश सरकार को हटा नहीं सके, लेकिन वे अपनी एक सूत्री मांग की घोषणा के बाद केवल चार दिनों में ऐसा करने में कामयाब रहे। आसिफ ने कहा, "हम साबित करेंगे कि युवा पीढ़ी भी जुनून और देशभक्ति के साथ देश की सेवा कर सकती है।"

बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि बांग्लादेश का भविष्य अब युवा ही तय करेंगे। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने भी कहा है कि हमें दूसरी बार स्वतंत्रता मिली है और हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी। यूनुस ने उन युवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने हसीना के खिलाफ आंदोलन को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि देश अब युवाओं के हाथ में है। उन्होंने कहा, ‘‘देश अब आपके हाथों में है। अब आपको अपनी आकांक्षाओं के अनुसार इसका पुनर्निर्माण करना है। आपको देश के निर्माण के लिए अपनी रचनात्मकता का उपयोग करना होगा। आपने देश के लिए आजादी हासिल की है।’’ 

-नीरज कुमार दुबे