भारत को वृद्धि पथ पर रहने, रोजगार सृजन के लिए अधिक सुधारों की जरूरत: Geeta Gopinath

नयी दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने तथा देश में पर्याप्त रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सुधार करने की आवश्यकता होगी। यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि यदि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनना चाहता है तो उसे आयात शुल्क कम करना होगा। उन्होंने कहा, “संरचनात्मक सुधारों के संदर्भ में सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।” गोपीनाथ ने कहा कि विश्व ऐसे माहौल में है जहां व्यापार एकीकरण पर सवाल उठ रहे हैं, तथा भारत के लिए वैश्विक व्यापार के लिए खुला रहना महत्वपूर्ण है। प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा, “भारत में शुल्क दरें अन्य समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक हैं। यदि वह विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे उन शुल्क को कम करना होगा।” गोपीनाथ ने कहा कि विकसित देश का दर्जा प्राप्त करना एक बड़ी आकांक्षा है, लेकिन यह अपने आप नहीं हो जाता। इसके लिए कई क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर निरंतर, सुसंगत प्रयास की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, “भारत की समग्र वृद्धि दर अच्छी रही है और सात प्रतिशत की दर से यह विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है।” गोपीनाथ ने कहा, “प्रश्न यह है कि इस गति को कैसे बनाए रखा जाए तथा इसे और कैसे बढ़ाया जाए, ताकि भारत में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो सके तथा यह एक उन्नत अर्थव्यवस्था बन सके।” कराधान पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति अन्य विकासशील देशों से मिलती-जुलती है, जहां एकत्रित होने वाला अधिकांश कर राजस्व अप्रत्यक्ष कर होता है, न कि प्रत्यक्ष कर, तथा आयकर के रूप में नहीं होता। उन्होंने कहा, “हम अन्य विकासशील देशों को भी सलाह दे रहे हैं कि व्यक्तिगत आयकर आधार को व्यापक बनाना लाभदायक होगा, ताकि वहां से अधिक आय प्राप्त हो सके।” मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट कर की दर में कटौती का उल्लेख करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि यद्यपि यह सहायक था, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि खामियां न हों और कर छूट के मामले में बहुत अधिक लीकेज न हो। उन्होंने कहा, “आपकी कर प्रणाली में पर्याप्त प्रगतिशीलता होना बहुत महत्वपूर्ण है... यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपको (भारत को) अपने पूंजीगत आय कर से पूंजीगत लाभ कर से पर्याप्त राशि मिल रही है।” गोपीनाथ ने यह भी सुझाव दिया कि अब संपत्ति कर लागू करने के लिए बेहतर तकनीक उपलब्ध है और यह भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करने की आवश्यकता है।

भारत को वृद्धि पथ पर रहने, रोजगार सृजन के लिए अधिक सुधारों की जरूरत: Geeta Gopinath
नयी दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने तथा देश में पर्याप्त रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सुधार करने की आवश्यकता होगी। यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि यदि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनना चाहता है तो उसे आयात शुल्क कम करना होगा। उन्होंने कहा, “संरचनात्मक सुधारों के संदर्भ में सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।” 

गोपीनाथ ने कहा कि विश्व ऐसे माहौल में है जहां व्यापार एकीकरण पर सवाल उठ रहे हैं, तथा भारत के लिए वैश्विक व्यापार के लिए खुला रहना महत्वपूर्ण है। प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा, “भारत में शुल्क दरें अन्य समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक हैं। यदि वह विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे उन शुल्क को कम करना होगा।” गोपीनाथ ने कहा कि विकसित देश का दर्जा प्राप्त करना एक बड़ी आकांक्षा है, लेकिन यह अपने आप नहीं हो जाता। इसके लिए कई क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर निरंतर, सुसंगत प्रयास की आवश्यकता होती है। 

उन्होंने कहा, “भारत की समग्र वृद्धि दर अच्छी रही है और सात प्रतिशत की दर से यह विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है।” गोपीनाथ ने कहा, “प्रश्न यह है कि इस गति को कैसे बनाए रखा जाए तथा इसे और कैसे बढ़ाया जाए, ताकि भारत में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो सके तथा यह एक उन्नत अर्थव्यवस्था बन सके।” कराधान पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति अन्य विकासशील देशों से मिलती-जुलती है, जहां एकत्रित होने वाला अधिकांश कर राजस्व अप्रत्यक्ष कर होता है, न कि प्रत्यक्ष कर, तथा आयकर के रूप में नहीं होता। 

उन्होंने कहा, “हम अन्य विकासशील देशों को भी सलाह दे रहे हैं कि व्यक्तिगत आयकर आधार को व्यापक बनाना लाभदायक होगा, ताकि वहां से अधिक आय प्राप्त हो सके।” मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट कर की दर में कटौती का उल्लेख करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि यद्यपि यह सहायक था, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि खामियां न हों और कर छूट के मामले में बहुत अधिक लीकेज न हो। उन्होंने कहा, “आपकी कर प्रणाली में पर्याप्त प्रगतिशीलता होना बहुत महत्वपूर्ण है... यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपको (भारत को) अपने पूंजीगत आय कर से पूंजीगत लाभ कर से पर्याप्त राशि मिल रही है।” गोपीनाथ ने यह भी सुझाव दिया कि अब संपत्ति कर लागू करने के लिए बेहतर तकनीक उपलब्ध है और यह भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करने की आवश्यकता है।