चबूतरा बनाने को लेकर विवाद, लाठियों से हमला; महिलाओं सहित 6 घायल..
पाली: पाली जिले के डेंडा गांव में मकान के सामने चबूतरा बनाने को लेकर दो पड़ोसी परिवारों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला मारपीट तक पहुंच गया।
इस घटना में दोनों पक्षों के कुल 6 लोग घायल हो गए, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। सभी घायलों को पाली के बांगड़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
क्या है मामला..? डेंडा गांव निवासी मांगीलाल प्रजापत अपने मकान का निर्माण करवा रहे थे और मकान के सामने चबूतरा बना रहे थे।
पड़ोसी पुखराज प्रजापत ने चबूतरे की चौड़ाई को लेकर आपत्ति जताई। पुखराज ने कहा कि चबूतरे की चौड़ाई कम रखी जाए ताकि रास्ते में आने-जाने वालों को परेशानी न हो।
इस पर मांगीलाल ने जवाब दिया कि उन्होंने नाली से पीछे चबूतरा बनाया है। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे झगड़े में बदल गई।
लाठियों से हमला, 6 घायल- झगड़ा बढ़ते हुए मारपीट में बदल गया। लाठियों से हुए हमले में दोनों पक्षों के 6 लोग घायल हो गए। घायलों की पहचान इस प्रकार है.
पहला पक्ष:
- मांगीलाल पुत्र राजाराम प्रजापत (60 वर्ष) 2. सीतादेवी पत्नी मांगीलाल (58 वर्ष) 3. गुड़िया पुत्री मांगीलाल (32 वर्ष) 4. गोपाल पुत्र मांगीलाल (35 वर्ष)
- दूसरा पक्ष: 1. मांगीलाल पुत्र चुन्नीलाल 2. नरपत पुत्र मांगीलाल घायलों को तुरंत पाली के बांगड़ हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
रिश्तेदारों के बीच हुआ विवाद- गांववालों के अनुसार, दोनों पक्ष आपस में रिश्तेदार हैं। ऐसे में इस विवाद ने पारिवारिक रिश्तों को भी खटास में डाल दिया है।
पुलिस कर रही मामले की जांच- घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर रही है।
प्राथमिक जांच में मामला भूमि विवाद और आपसी मतभेद का प्रतीत हो रहा है।
गांव में तनाव का माहौल- इस घटना के बाद डेंडा गांव में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने की अपील की है।
प्रशासन की अपील- प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें और विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाने का प्रयास करें।
चबूतरे को लेकर शुरू हुआ यह विवाद रिश्तों को खटास में बदल चुका है। पुलिस अब इस मामले में कार्रवाई कर रही है। ऐसी घटनाएं समाज को आपसी सामंजस्य का महत्व समझने की आवश्यकता पर बल देती हैं।
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा कि रिपोर्ट