सरकार का बड़ा फैसला: अब आम आदमी की पहुंच में होंगे इलेक्ट्रिक वाहन, नए साल पर कीमतें हो जाएंगी आधी! फाइल हुई तैयार..
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आम आदमी को इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर प्रोत्साहित करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है।
नए साल से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में भारी कटौती की संभावना है। इस निर्णय के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें आधी तक कम हो सकती हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इससे संबंधित फाइल पूरी तरह तैयार है और जल्द ही इसे अंतिम मंजूरी दी जाएगी।
सरकार का बड़ा कदम- परिवहन मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने मिलकर एक नई सब्सिडी योजना तैयार की है। इसके तहत न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले टैक्स को घटाया जाएगा, बल्कि इन पर अतिरिक्त सब्सिडी भी दी जाएगी।
इसके अलावा, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भारी निवेश की योजना बनाई गई है।
आम आदमी के लिए फायदे- कीमत में गिरावट: नए साल से इलेक्ट्रिक स्कूटर और कारों की कीमतें 40-50% तक कम हो सकती हैं।
चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में इजाफा: सरकार पूरे देश में 10,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रही है। ईंधन की बचत: पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण..? भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उच्च कीमतों के कारण यह अभी भी आम जनता की पहुंच से दूर है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि विदेशी तेल पर निर्भरता भी घटेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ..? वाहन उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह योजना लागू होती है, तो आने वाले 2-3 वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तीन गुना वृद्धि हो सकती है।
इसके अलावा, यह कदम भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान देगा।
साल 2024 के अंत तक बड़ा बदलाव- सरकार ने इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने का विचार किया है। शुरुआत में यह सब्सिडी मेट्रो शहरों में दी जाएगी, उसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
यह बड़ा फैसला न केवल आम आदमी के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा पहुंचाएगा। यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक वाहन हर घर की जरूरत बन सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा कि रिपोर्ट