बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा पर चुप्पी उचित नहीं

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों के विरोध में हाल ही में राजधानी ढाका, चटगांव, कुरीग्राम, ठाकुरगांव, छत्रग्राम, दिनाजपुर, बरिशाल, मेमेन्सिंध, तंगेल, नीलाफामारी आदि शहरों में लाखों की संख्या में हिन्दुओं ने विरोध प्रदर्शन करके सरकार से तत्काल कट्टरपंथियों के हमलों को रोकने की मांग करते हुए, नुकसान की भरपाई की मांग करते हुए, दंगाईयों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हुए, पूरे विश्व समुदाय का ध्यान बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के मसले पर आकर्षित करने का कार्य किया है। वैसे भी बांग्लादेश में हिंसा व तनाव के चलते ही म्यांमार की सीमा पर शरण लेने की उम्मीद से खड़े बांग्लादेशी लोगों के साथ घटित हुई बेहद हृदयविदारक घटना को अभी हाल ही में पूरी दुनिया के लोगों ने देखा है। वहीं भारत की बांग्लादेश से सटी सीमाओं पर भी इसी तरह से लाखों की संख्या में जगह-जगह बांग्लादेशी हिन्दू भारत में शरण लेने की उम्मीद से निरंतर खड़े हुए हैं। वहीं भारत में धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार अभी तक भी इस ज्वलंत मसले पर कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं, जबकि इनमें से बहुत सारे लोग मानवाधिकार के नाम पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक़, फिलिस्तीन, लिबिया, गाज़ा पट्टी आदि तक के आतंकियों के हक में भी खुलेआम भारत की सड़कों पर उतर करके हंगामा बरपाने से बाज़ नहीं आते। लेकिन आज बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर यह लोग चुपचाप तमाशबीन बनकर बैठे हुए हैं, अब इन लोगों को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं का दर्द, इंसानियत का सरेआम होता कत्लेआम व मानवाधिकारों का उल्लघंन होते हुए नज़र नहीं आ रहा है।बांग्लादेश में आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग को लेकर के कुछ माह से छात्रों के द्वारा सड़कों पर जबरदस्त हंगामा बरपाया हुआ था। जिस हिंसक हंगामें की आड़ में ही बांग्लादेश में जनवरी 2024 में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली शेख हसीना सरकार का 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया। वहां के हालात को देखकर लगता है कि आरक्षण का मुद्दा तो बस एक बहाना था, असली मकसद तो कट्टरपंथियों का शेख हसीना को सत्ता से हटाकर के बिना चुनाव जीते सरकार पर कब्जा जमाना था, जिस मकसद में वह सफल भी हुए हैं। इसलिए प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट करने के लिए ही कट्टपंथी षड्यंत्रकारियों के द्वारा पूरे बांग्लादेश को हिंसा की आग में झोंक कर आम लोगों का कत्लेआम करवा दिया गया। हिंसा का आलम यह था कि खुद प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी अपनी जान बचाने के लाले पड़ गए थे, वह भी जैसे-तैसे करके  बांग्लादेश को छोड़कर के भारत सुरक्षित पहुंच पाई हैं। लेकिन शेख हसीना के विरोध के नाम पर चल रहे इस पूरे हिंसक आंदोलन को हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद तो पूरी तरह से शांत हो जाना चाहिए था, लेकिन उसके बावजूद आज भी बांग्लादेश में हिंसा व हंगामें का जबरदस्त दौर जारी है, वहां पर कट्टरपंथी दंगाईयों के दबाव व भय में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक को भी अपना पद छोड़ना पड़ा है। इस परिस्थिति में सोचने वाली बात यह है कि 17 करोड़ की आबादी वाले मुस्लिम बाहुल्य बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी तकरीबन आठ प्रतिशत 1.35 करोड़ के लगभग हैं, वहीं इस अधिकांश हिन्दू आबादी को परंपरागत रूप से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का कट्टर समर्थक माना जाता है। लेकिन शेख हसीना से बांग्लादेश की सत्ता को हथियाने के इस षड्यंत्र में अवामी लीग पार्टी के नेताओं व समर्थकों का जान-माल दंगाइयों के निशाने पर शुरूआत से ही रहा है। जिसके चलते अब यह दंगाई बांग्लादेश में अल्पसंख्यक  हिन्दुओं के जान-माल को निशाना बना रहे हैं। जिसके बाद वहां के अल्पसंख्यकों के विभिन्न संगठन प्रदर्शन करके व अंतरिम सरकार को खुला पत्र लिखकर के सुरक्षा मांग रहे है। इन संगठनों के अनुसार बांग्लादेश के 64 जिलों में से 52 में हिन्दुओं को बड़े पैमाने पर कट्टरपंथी दंगाईयों के द्वारा निशाना बनाया गया‌ है। उनका कहना है कि बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की आबादी वहां अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बने हुए अमानवीय क्रूरतापूर्ण हालात से बुरी तरह से भयभीत हैं, वह अपने भविष्य की अनिश्चितता को लेकर के बेहद डरे हुए हैं। जिसकी वजह से ही हम सभी संगठन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से तत्काल उन्हें सुरक्षा और संरक्षण देने की मांग करते हुए कट्टरपंथी दंगाईयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।इसे भी पढ़ें: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों पर चुप क्यों है भारत का विपक्षबांग्लादेश में कट्टरपंथी षड्यंत्रकारी लोगों के द्वारा तथाकथित आंदोलनकारी छात्रों के साथ मिलकर के वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को जबरन सत्ता से हटाने के बाद से ही पूरे देश में कानून-व्यवस्था के हालात दिन-प्रतिदिन बेहद बदतर होते जा रहे हैं, अब तो पूरे देश में पुलिस तोड़फोड़ व हिंसा को केवल तमाशबीन बनकर देख रही है। दंगाईयों के द्वारा जगह-जगह सार्वजनिक व निजी संपत्ति में तोड़फोड़ करना, लूट-पाट करना, आगजनी करना, अपहरण करना, सरेआम हत्या करना, बलात्कार आदि जैसे जघन्य अपराधों की घटनाओं को अंजाम देना आम बात हो गयी है। लेकिन अब विचारणीय तथ्य यह है कि तख्तापलट के इस षड्यंत्रकारी खेल में मुस्लिम बाहुल्य देश में अल्पसंख्यक समुदाय के 1.35 करोड़ हिन्दुओं को जानबूझकर के क्यों निशाना बनाया जा रहा है, हिन्दुओं के आवास दुकान, मंदिर, उधोग-धंधे आदि वहां के बहुसंख्यक दंगाईयों के निशाने पर क्यों आये हुए हैं, आखिर वह किसके संरक्षण पर हिन्दुओं को बेखौफ होकर के नुकसान पहुंचा रहे हैं और क्यों बांग्लादेश के आम लोग, राजनेता, पुलिस, प्रशासन व सेना आदि सब तमाशबीन बन करके चुपचाप खड़े होकर के कत्लेआम का यह तमाशा देख रहे है। इस हालात में अहम विचारणीय तथ्य यह भी है कि ना जाने बांग्लादेश का सिस्टम

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा पर चुप्पी उचित नहीं
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों के विरोध में हाल ही में राजधानी ढाका, चटगांव, कुरीग्राम, ठाकुरगांव, छत्रग्राम, दिनाजपुर, बरिशाल, मेमेन्सिंध, तंगेल, नीलाफामारी आदि शहरों में लाखों की संख्या में हिन्दुओं ने विरोध प्रदर्शन करके सरकार से तत्काल कट्टरपंथियों के हमलों को रोकने की मांग करते हुए, नुकसान की भरपाई की मांग करते हुए, दंगाईयों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हुए, पूरे विश्व समुदाय का ध्यान बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के मसले पर आकर्षित करने का कार्य किया है। वैसे भी बांग्लादेश में हिंसा व तनाव के चलते ही म्यांमार की सीमा पर शरण लेने की उम्मीद से खड़े बांग्लादेशी लोगों के साथ घटित हुई बेहद हृदयविदारक घटना को अभी हाल ही में पूरी दुनिया के लोगों ने देखा है। वहीं भारत की बांग्लादेश से सटी सीमाओं पर भी इसी तरह से लाखों की संख्या में जगह-जगह बांग्लादेशी हिन्दू भारत में शरण लेने की उम्मीद से निरंतर खड़े हुए हैं। वहीं भारत में धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार अभी तक भी इस ज्वलंत मसले पर कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं, जबकि इनमें से बहुत सारे लोग मानवाधिकार के नाम पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक़, फिलिस्तीन, लिबिया, गाज़ा पट्टी आदि तक के आतंकियों के हक में भी खुलेआम भारत की सड़कों पर उतर करके हंगामा बरपाने से बाज़ नहीं आते। लेकिन आज बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर यह लोग चुपचाप तमाशबीन बनकर बैठे हुए हैं, अब इन लोगों को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं का दर्द, इंसानियत का सरेआम होता कत्लेआम व मानवाधिकारों का उल्लघंन होते हुए नज़र नहीं आ रहा है।

बांग्लादेश में आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग को लेकर के कुछ माह से छात्रों के द्वारा सड़कों पर जबरदस्त हंगामा बरपाया हुआ था। जिस हिंसक हंगामें की आड़ में ही बांग्लादेश में जनवरी 2024 में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली शेख हसीना सरकार का 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया। वहां के हालात को देखकर लगता है कि आरक्षण का मुद्दा तो बस एक बहाना था, असली मकसद तो कट्टरपंथियों का शेख हसीना को सत्ता से हटाकर के बिना चुनाव जीते सरकार पर कब्जा जमाना था, जिस मकसद में वह सफल भी हुए हैं। इसलिए प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट करने के लिए ही कट्टपंथी षड्यंत्रकारियों के द्वारा पूरे बांग्लादेश को हिंसा की आग में झोंक कर आम लोगों का कत्लेआम करवा दिया गया। हिंसा का आलम यह था कि खुद प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी अपनी जान बचाने के लाले पड़ गए थे, वह भी जैसे-तैसे करके  बांग्लादेश को छोड़कर के भारत सुरक्षित पहुंच पाई हैं। लेकिन शेख हसीना के विरोध के नाम पर चल रहे इस पूरे हिंसक आंदोलन को हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद तो पूरी तरह से शांत हो जाना चाहिए था, लेकिन उसके बावजूद आज भी बांग्लादेश में हिंसा व हंगामें का जबरदस्त दौर जारी है, वहां पर कट्टरपंथी दंगाईयों के दबाव व भय में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक को भी अपना पद छोड़ना पड़ा है। इस परिस्थिति में सोचने वाली बात यह है कि 17 करोड़ की आबादी वाले मुस्लिम बाहुल्य बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी तकरीबन आठ प्रतिशत 1.35 करोड़ के लगभग हैं, वहीं इस अधिकांश हिन्दू आबादी को परंपरागत रूप से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का कट्टर समर्थक माना जाता है। लेकिन शेख हसीना से बांग्लादेश की सत्ता को हथियाने के इस षड्यंत्र में अवामी लीग पार्टी के नेताओं व समर्थकों का जान-माल दंगाइयों के निशाने पर शुरूआत से ही रहा है। जिसके चलते अब यह दंगाई बांग्लादेश में अल्पसंख्यक  हिन्दुओं के जान-माल को निशाना बना रहे हैं। जिसके बाद वहां के अल्पसंख्यकों के विभिन्न संगठन प्रदर्शन करके व अंतरिम सरकार को खुला पत्र लिखकर के सुरक्षा मांग रहे है। इन संगठनों के अनुसार बांग्लादेश के 64 जिलों में से 52 में हिन्दुओं को बड़े पैमाने पर कट्टरपंथी दंगाईयों के द्वारा निशाना बनाया गया‌ है। उनका कहना है कि बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की आबादी वहां अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बने हुए अमानवीय क्रूरतापूर्ण हालात से बुरी तरह से भयभीत हैं, वह अपने भविष्य की अनिश्चितता को लेकर के बेहद डरे हुए हैं। जिसकी वजह से ही हम सभी संगठन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से तत्काल उन्हें सुरक्षा और संरक्षण देने की मांग करते हुए कट्टरपंथी दंगाईयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।

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बांग्लादेश में कट्टरपंथी षड्यंत्रकारी लोगों के द्वारा तथाकथित आंदोलनकारी छात्रों के साथ मिलकर के वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को जबरन सत्ता से हटाने के बाद से ही पूरे देश में कानून-व्यवस्था के हालात दिन-प्रतिदिन बेहद बदतर होते जा रहे हैं, अब तो पूरे देश में पुलिस तोड़फोड़ व हिंसा को केवल तमाशबीन बनकर देख रही है। दंगाईयों के द्वारा जगह-जगह सार्वजनिक व निजी संपत्ति में तोड़फोड़ करना, लूट-पाट करना, आगजनी करना, अपहरण करना, सरेआम हत्या करना, बलात्कार आदि जैसे जघन्य अपराधों की घटनाओं को अंजाम देना आम बात हो गयी है। लेकिन अब विचारणीय तथ्य यह है कि तख्तापलट के इस षड्यंत्रकारी खेल में मुस्लिम बाहुल्य देश में अल्पसंख्यक समुदाय के 1.35 करोड़ हिन्दुओं को जानबूझकर के क्यों निशाना बनाया जा रहा है, हिन्दुओं के आवास दुकान, मंदिर, उधोग-धंधे आदि वहां के बहुसंख्यक दंगाईयों के निशाने पर क्यों आये हुए हैं, आखिर वह किसके संरक्षण पर हिन्दुओं को बेखौफ होकर के नुकसान पहुंचा रहे हैं और क्यों बांग्लादेश के आम लोग, राजनेता, पुलिस, प्रशासन व सेना आदि सब तमाशबीन बन करके चुपचाप खड़े होकर के कत्लेआम का यह तमाशा देख रहे है। इस हालात में अहम विचारणीय तथ्य यह भी है कि ना जाने बांग्लादेश का सिस्टम किस दवाब में आकर के इस तरह के कट्टरपंथी दंगाईयों की छातियों को गोलियों से छलनी करने से बच रहा है। सोचने वाली बात यह भी है कि बिना चुनाव जीते सत्ता हथियाने की इस जंग के मुद्दे की आड़ में हिन्दुओं के जान-माल को जबरदस्त ढंग से पहले दिन से ही हानि क्यों पहुंचायी जा रही है। धरातल पर बन रहे हालातों को देखकर लगता है कि यह स्थिति बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक बहुत बड़ा सोचा-समझा षड्यंत्र है। जिस पर कम से कम अब तो विश्व भर के ताकतवर देशों व मानवाधिकारों के ठेकेदारों को तत्काल बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालकर के लगाम लगवानी चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ भारत में धार्मिक आधार पर हिंसा की आयेदिन मनगढ़ंत बात करने वाले लोग व धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे बैठे हुए हैं, यह विचारणीय तथ्य है। हालांकि मोदी सरकार ने दूरदर्शी सोच दिखाते हुए पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर होने वाले आये दिन के अत्याचारों के कारण ही भारत में वहां के अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा देने वाले कानून सीएए को लागू किया था। लेकिन देश में सीएए लागू करने का विरोध करने वाले नेता व अन्य ठेकेदार बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विरुद्ध किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन करके या अपने संगठनों के माध्यम से कोई सख्त संदेश भेज कर के वहां के हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात क्यों नहीं कर रहे हैं।

हालांकि स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की अपील की। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को अवगत करवाया था कि मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर के चिंतित हैं। वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस जिन्होंने शपथ लेते समय बांग्लादेश में लोकतंत्र, न्याय, मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम करने का वादा देश व दुनिया से किया था। वह फिलहाल बांग्लादेश की भूमि पर कहीं भी पूरा होता हुआ धरातल पर नज़र नहीं आ रहा है। इस समय तो बांग्लादेश में केवल तोड़फोड़, आगजनी, हिंसा, अवामी लीग के नेताओं व हिन्दुओं का कत्लेआम होता हुआ नज़र आ रहा है, जो स्थिति देश व दुनिया में आपसी भाईचारे व मानवता के लिए उचित नहीं है।

- दीपक कुमार त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक