हज़रत ख़्वाजा सैयद मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रह.अ. के 813वें उर्स का झंडा शनिवार को चढ़ेगा..

हज़रत ख़्वाजा सैयद मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रह.अ. के 813वें उर्स का झंडा शनिवार को चढ़ेगा..

अजमेर, 27 दिसम्बर(हि.स)। हज़रत ख़्वाजा सैयद मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (गरीब नवाज़) के 813वें उर्स शरीफ़ का झंड़ा 28 दिसम्बर को बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा।

उर्स का झंडा लेकर भीलवाड़ा का फखरुद्दीन गौरी परिवार अजमेर पहुंच गया है। शनिवार को अस्र की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस बैंड वादन और ससूफियाना कलाम के साथ निकाला जाएगा।

रोशनी के वक्त से पहले झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा। इसी के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो जाएगी। चांद दिखाई देने के पांच दिन पहले झंडा चढ़ाने की परम्परा वर्षों से निभाई जा रही है।

 इधर, उर्स को ध्यान में रखते हुए दरगाह और उसके आस पास से जुड़े बाजारों में अतिक्रमण हटाओ अभियान एनवक्त पर चलाना जिला प्रशासन को भारी पड़ने लगा है।

व्यापारियों में भारी रोष है। व्यापारियों के विरोध की आग में घी का काम मावठ की बारिश ने कर दिया है। व्यापारियों की दुकानों की सीढ़ियां और छप्पर अतिक्रमण के नाम पर हटाए जाने के तुरंत बाद ही बरसात ने बसेरा कर लिया।

बीती रात से हो रही लगातार बारिश से उर्स से संबंधित तमाम इंतजाम पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। गौरतलब है कि जायरीन की आवक उर्स का झंडा चढ़ने के साथ ही शुरू हो जाती है। यह बात अलग है ।

 इस बार चांद दिखाई देने पर उर्स की शुरुआत 2 जनवरी 25 से होगी। साल में चार बार खुलने वाला जन्नती दरवाजा उर्स में 2 जनवरी को अल सुबह खुलेगा जो 7 जनवरी 25 तक खुला रहेगा। इस बार जुम्मे की नमाज उर्स में 3 जनवरी का ही हो जाएगी।

यानी उर्स शुरू होने के अगले ही दिन जुम्मे की नमाज होगी। लिहाजा अनुमान लगाया जा रहा है कि उर्स पर छोटे कुल के समय यानी छठी शरीफ 7 जनवरी 25 पर जायरीन की आवक अधिक होगी।

 उर्स में बड़े कुल की रस्म उर्स के अंतिम दिन यानी 10 जनवरी 25 को होगी। उर्स में आए जायरीन इत्र, गुलाबजल और केवड़े के पानी से ख्वाजा की दरगाह के तमाम दरो—दीवारों को धोएंगे। गौरतलब है कि हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का वार्षिक उर्स मुबारक बहुत ही ख़ास दिन होता है।

 इस ख़ास अवसर पर खुद्दाम ए ख्वाजा की ओर से दुआ की जाती है। ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर दिन में दो बार खिदमत होती है। उन्हें गुस्ल दिया जाता है। संदल चढ़ाया जाता है। रात में महफील खाने में ख्वाजा साहब की शान में देश भर के कव्वाल अपने कलाम पेश करते हैं।

देश विदेश से राजनीतिक और प्रशासनिक व व्यापारिक हस्तियां ख्वाजा की मजार पर अपनी अकीदत के चादर, फूल, नज़र ओ नियाज़, देग भेंट पेश करते हैं। लाखों लोग उर्स में शिरकत करने आते है।

अजमेर से पत्रकार इमरान चिश्ती कि रिपोर्ट