Prabhasakshi Exclusive: India-Maldives Relation में सुधार कैसे आ गया? Mohamed Muizzu को सही राह पर कैसे ले आये Modi?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाल की मालदीव यात्रा काफी सफल रही। आखिर दोनों देशों के संबंधों में आया तनाव यकायक दूर कैसे होता नजर आ रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि गत दिसम्बर से भारत और मालदीव के संबंधों में जो तनाव आया था वह काफी हद तक कम होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि शुरू में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को लगा कि चीन के समर्थन से वह अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे। लेकिन इन छह-सात महीनों में मुइज्जू को समझ आ गया है कि भारत और भारतीयों की मदद के बिना काम चलने वाला नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों ने बॉयकॉट मालदीव अभियान चलाकर मालदीव की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि मालदीव के होटल खाली पड़े हैं, टैक्सी वाले खाली खड़े हैं और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग भी खाली बैठे हैं इसलिए वहां की सरकार पर दबाव पड़ रहा था कि वह भारत से अपने संबंध सुधारे।बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इन महीनों के बीच मुइज्जू को यह भी समझ आ गया है कि चीन जो मदद दे रहा है वह भारी कर्ज की तरह है जबकि भारत जो मदद दे रहा है वह पड़ोसी देशों के प्रति उसकी लचीली नीति की बदौलत है। उन्होंने कहा कि यही कारण था कि जब भारत में चुनावों के बाद नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मुइज्जू को शामिल होने का न्यौता दिया गया था तो वह भागे भागे चले आये थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मालदीव के एक मंत्री भी हाल ही में भारत आये थे और दोनों देशों ने तमाम मुद्दों का हल निकालने के लिए जो फोरम बनाया है उसकी बैठक भी हाल ही में दिल्ली में हुई थी जिसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर मालदीव गये।इसे भी पढ़ें: मालदीव-भारत के बेहतर होते रिश्तों के सबबबिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध बहुत गहरे हैं और जब जब वहां की सरकार या जनता को जरूरत पड़ी है तो नई दिल्ली ने पूरा साथ दिया है। उन्होंने कहा कि मुइज्जू भले भारत से नाराजगी जता रहे थे और भारत को कभी अपना सैन्य दल वापस बुलाने तो कभी और कुछ करने को कह रहे थे लेकिन दिल्ली ने सब कुछ शांत स्वभाव से किया और सही समय का इंतजार किया। उन्होंने कहा कि अब जब मुइज्जू को बात समझ आ गयी है तो वहां का विपक्ष भी इसका स्वागत कर रहा है। उन्होंने कहा कि मालदीव के मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपनी भारत नीति में ‘‘अचानक किए गए बदलाव’’ का स्वागत करते हुए कहा है कि माले इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त रहा है कि देश पर जब भी संकट आएगा और वह मदद के लिए पुकारेगा, तो नई दिल्ली सबसे पहले सहायता करेगा।बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अपनी मालदीव यात्रा के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है तथा दोनों देश अपने सहयोग को आधुनिक साझेदारी में बदलने की आकांक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव में प्रभावशाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर समान जोर देता है। उन्होंने कहा कि भारत वहां पहले से ही 65 परियोजनाओं में भागीदारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने मालदीव के मित्रों की उभरती जरूरतों और प्राथमिकताओं के प्रति जागरूक है तथा दोनों सरकारें उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान प्रदान करने का प्रयास करती हैं।

Prabhasakshi Exclusive: India-Maldives Relation में सुधार कैसे आ गया? Mohamed Muizzu को सही राह पर कैसे ले आये Modi?
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाल की मालदीव यात्रा काफी सफल रही। आखिर दोनों देशों के संबंधों में आया तनाव यकायक दूर कैसे होता नजर आ रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि गत दिसम्बर से भारत और मालदीव के संबंधों में जो तनाव आया था वह काफी हद तक कम होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि शुरू में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को लगा कि चीन के समर्थन से वह अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे। लेकिन इन छह-सात महीनों में मुइज्जू को समझ आ गया है कि भारत और भारतीयों की मदद के बिना काम चलने वाला नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों ने बॉयकॉट मालदीव अभियान चलाकर मालदीव की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि मालदीव के होटल खाली पड़े हैं, टैक्सी वाले खाली खड़े हैं और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग भी खाली बैठे हैं इसलिए वहां की सरकार पर दबाव पड़ रहा था कि वह भारत से अपने संबंध सुधारे।

बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इन महीनों के बीच मुइज्जू को यह भी समझ आ गया है कि चीन जो मदद दे रहा है वह भारी कर्ज की तरह है जबकि भारत जो मदद दे रहा है वह पड़ोसी देशों के प्रति उसकी लचीली नीति की बदौलत है। उन्होंने कहा कि यही कारण था कि जब भारत में चुनावों के बाद नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मुइज्जू को शामिल होने का न्यौता दिया गया था तो वह भागे भागे चले आये थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मालदीव के एक मंत्री भी हाल ही में भारत आये थे और दोनों देशों ने तमाम मुद्दों का हल निकालने के लिए जो फोरम बनाया है उसकी बैठक भी हाल ही में दिल्ली में हुई थी जिसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर मालदीव गये।

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बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध बहुत गहरे हैं और जब जब वहां की सरकार या जनता को जरूरत पड़ी है तो नई दिल्ली ने पूरा साथ दिया है। उन्होंने कहा कि मुइज्जू भले भारत से नाराजगी जता रहे थे और भारत को कभी अपना सैन्य दल वापस बुलाने तो कभी और कुछ करने को कह रहे थे लेकिन दिल्ली ने सब कुछ शांत स्वभाव से किया और सही समय का इंतजार किया। उन्होंने कहा कि अब जब मुइज्जू को बात समझ आ गयी है तो वहां का विपक्ष भी इसका स्वागत कर रहा है। उन्होंने कहा कि मालदीव के मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपनी भारत नीति में ‘‘अचानक किए गए बदलाव’’ का स्वागत करते हुए कहा है कि माले इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त रहा है कि देश पर जब भी संकट आएगा और वह मदद के लिए पुकारेगा, तो नई दिल्ली सबसे पहले सहायता करेगा।

बिग्रेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अपनी मालदीव यात्रा के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है तथा दोनों देश अपने सहयोग को आधुनिक साझेदारी में बदलने की आकांक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव में प्रभावशाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर समान जोर देता है। उन्होंने कहा कि भारत वहां पहले से ही 65 परियोजनाओं में भागीदारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने मालदीव के मित्रों की उभरती जरूरतों और प्राथमिकताओं के प्रति जागरूक है तथा दोनों सरकारें उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान प्रदान करने का प्रयास करती हैं।