Lord Dwarkadhish: भगवान द्वारकाधीश ने क्यों बंद कर ली थीं अपनी आंखें, जानिए क्या है पौराणिक कथा

गुजरात के राजा भोज ने 12वीं शताब्दी में द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण करवाया था। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से हुआ था। वहीं मुगल सम्राट अकबर ने 16वीं शताब्दी में मंदिर की मरम्मत का कार्य कराया था। यह मंदिर चारधाम में से एक है। द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर श्रीकृष्ण लीला से जुड़ी कई अहम घटनाओं का स्थल माना जाता है।वैसे तो अलग-अलग स्वरूप में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। जहां जगन्नाथ पुरी में भगवान श्रीकृष्ण की आंखें बड़ी-बड़ी हैं। तो वहीं द्वारकाधीश भगवान की आंखें बंद हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान द्वारकाधीश की आंखें बंद क्यों हैं।इसे भी पढ़ें: Famous Shiva Temple: उत्तराखंड के इस प्राचीन मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए थे सात फेरे, आज भी जल रही है पवित्र अग्निक्यों बंद हैं भगवान द्वारकाधीश की आंखेंबता दें कि भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखें प्रेम का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं प्रेम दृष्टि से परे होता है और द्वारकाधीश अपने भक्तों पर असमी प्रेम की वर्षा करते हैं।भगवान द्वारकाधीश ध्यान की मुद्रा में हैं। द्वारकाधीश की बंद आंखे भक्तों को ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताती हैं।भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखें महानता को दर्शाता है।पौराणिक कथापौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण द्वारका नगरी में राज कर रहे थे। तभी एक दिन उनको सूचना मिली कि उनके प्रिय भक्त सुदामा गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण अपने भक्त सुदामा से मिलने उनके घर पहुंचे। श्रीकृष्ण को देखकर सुदामा बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन सुदामा के घर में भगवान को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। जिस पर उनकी पत्नी ने चावल के कुछ दाने पीसकर भगवान श्रीकृष्ण को खिलाए। ऐसे में सुदामा और उसकी पत्नी की भक्ति देखकर श्रीकृष्ण बेहद प्रसन्न हुए और अपने भक्त को असीम धन और समृद्धि दी।जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी नगरी द्वारका वापस लौट रहे थे। तो उन्होंने सोचा कि सुदामा कि गरीबी देखकर उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए। जिसके कारण उनके प्रिय भक्त सुदामा को ऐसी स्थिति में रहना पड़ा। इसलिए उन्होंने निश्चिय किया कि वह कभी किसी गरीब को नहीं देखेंगे। इसलिए उन्होंने अपने नेत्र हमेशा के लिए बंद कर लिए।जानिए रोचक बातेंभगवान द्वारकाधीश को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए चार भुजा के रूप में दर्शाया गया है।बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका को अपनी राजधानी बनाया था।वहीं भगवान द्वारकाधीश को सौंदर्य, संगीत, प्रेम और नृत्य का देवता माना जाता है।जो भी भक्त भगवान द्वारकाधीश की पूजा-अर्चना करने हैं, उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

Lord Dwarkadhish: भगवान द्वारकाधीश ने क्यों बंद कर ली थीं अपनी आंखें, जानिए क्या है पौराणिक कथा
गुजरात के राजा भोज ने 12वीं शताब्दी में द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण करवाया था। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से हुआ था। वहीं मुगल सम्राट अकबर ने 16वीं शताब्दी में मंदिर की मरम्मत का कार्य कराया था। यह मंदिर चारधाम में से एक है। द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर श्रीकृष्ण लीला से जुड़ी कई अहम घटनाओं का स्थल माना जाता है।

वैसे तो अलग-अलग स्वरूप में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। जहां जगन्नाथ पुरी में भगवान श्रीकृष्ण की आंखें बड़ी-बड़ी हैं। तो वहीं द्वारकाधीश भगवान की आंखें बंद हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान द्वारकाधीश की आंखें बंद क्यों हैं।

इसे भी पढ़ें: Famous Shiva Temple: उत्तराखंड के इस प्राचीन मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए थे सात फेरे, आज भी जल रही है पवित्र अग्नि


क्यों बंद हैं भगवान द्वारकाधीश की आंखें
बता दें कि भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखें प्रेम का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं प्रेम दृष्टि से परे होता है और द्वारकाधीश अपने भक्तों पर असमी प्रेम की वर्षा करते हैं।
भगवान द्वारकाधीश ध्यान की मुद्रा में हैं। द्वारकाधीश की बंद आंखे भक्तों को ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताती हैं।
भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखें महानता को दर्शाता है।

पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण द्वारका नगरी में राज कर रहे थे। तभी एक दिन उनको सूचना मिली कि उनके प्रिय भक्त सुदामा गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण अपने भक्त सुदामा से मिलने उनके घर पहुंचे। श्रीकृष्ण को देखकर सुदामा बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन सुदामा के घर में भगवान को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। जिस पर उनकी पत्नी ने चावल के कुछ दाने पीसकर भगवान श्रीकृष्ण को खिलाए। ऐसे में सुदामा और उसकी पत्नी की भक्ति देखकर श्रीकृष्ण बेहद प्रसन्न हुए और अपने भक्त को असीम धन और समृद्धि दी।

जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी नगरी द्वारका वापस लौट रहे थे। तो उन्होंने सोचा कि सुदामा कि गरीबी देखकर उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए। जिसके कारण उनके प्रिय भक्त सुदामा को ऐसी स्थिति में रहना पड़ा। इसलिए उन्होंने निश्चिय किया कि वह कभी किसी गरीब को नहीं देखेंगे। इसलिए उन्होंने अपने नेत्र हमेशा के लिए बंद कर लिए।

जानिए रोचक बातें
भगवान द्वारकाधीश को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए चार भुजा के रूप में दर्शाया गया है।
बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका को अपनी राजधानी बनाया था।
वहीं भगवान द्वारकाधीश को सौंदर्य, संगीत, प्रेम और नृत्य का देवता माना जाता है।
जो भी भक्त भगवान द्वारकाधीश की पूजा-अर्चना करने हैं, उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।