बच्चों की सर्वांगीण विकास के लिए बाल साहित्य की महत्ती आवश्यकता .. 15 वां राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन
उदयपुर । राजस्थान साहित्य अकादमी एवं सलिला संस्था, सलूंबर के संयुक्त तत्वावधान में 15 वां राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन -2024 विज्ञान समिति सभागार में देवपुत्र के संपादक गोपाल माहेश्वरी की अध्यक्षता में रश्मि वार्ष्णेय के मुख्य आतिथ्य एवं अहमदाबाद की कुमुद वर्मा के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ।
मंचस्थ अतिथियों ने बाल साहित्य फलक पर अंतरिक्ष विषय पर बीज वक्तव्य प्रस्तुत किए।
शकुंतला सरुपरिया द्वारा प्रस्तुत ईश वंदना के बाद सलिला संस्था की अध्यक्ष एवं संयोजक डॉ.विमला भंडारी ने आगंतुकों का स्वागत किया।
अपने उद्बोधन में डाॅ. विमला भंडारी ने कहा कि बाल साहित्य लेखन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए नई पीढ़ी की पौधशाला है। प्रथम सत्र उद्घाटन, लोकार्पण, पुरस्कार सम्मान एवं समीक्षा का रहा।
साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए इंदौर के गोपाल माहेश्वरी, कोटा की प्रज्ञा गौतम, अहमदाबाद की मल्लिका मुखर्जी एवं मुंबई की पूनम अहमद को सलिला साहित्य रत्न सम्मान प्रदान किया गया।
सम्मानित रचनाकारों ने अपनी लेखकीय अनुभव के उद्बोधन से सबको लाभान्वित किया। इसके अलावा सलिल प्रवाह, बच्चों के ज्ञानवर्धक आलेख, मस्तानों की टोली, मधुबन की सरस कहानियां एवं बेटी की अभिलाषा पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।
अपने उद्बोधन में देवपुत्र के संपादक एवं मुख्य अतिथि गोपाल माहेश्वरी ने कहा कि बाल साहित्य लेखन के लिए सृजनात्मकता के भावनात्मकता का होना आवश्यक है।
इस सत्र का संचालन शकुंतला सरुपरिया ने किया। पत्रवाचन एवं परिचर्चा सत्र में बाल साहित्य में आलेख: क्यों और कैसे विषय पर गाजियाबाद के रजनीकांत शुक्ल ने पत्रवाचन किया। सत्र की अध्यक्षता डाॅ. जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज ने की मुख्य अतिथि डॉ. लता अग्रवाल थीं।
परिचर्चा में तरुण कुमार दाधीच एवं शकुंतला पालीवाल ने अपने विचार व्यक्त किये। संचालन प्रकाश तातेड़ ने किया। सलिला की ओर से आलेख प्रतियोगिता के विजेताओं प्रथम वर्ग में रघुराज सिंह कर्मयोगी, द्वितीय वर्ग में प्रथम रश्मि वार्ष्णेय एवं डॉ. लता अग्रवाल, तृतीय वर्ग में आकांक्षा दत्ता एवं दिवाकर राय, चतुर्थ वर्ग में यशपाल शर्मा एवं डॉ. शील कौशिक रहीं।
पंचम वर्ग में डॉ. इंदु गुप्ता एवं नीना छिब्बर को पुरस्कृत किया गया। समीक्षा एवं समापन समारोह की अध्यक्षता डाॅ. मंजु चतुर्वेदी ने की।
मुख्य अतिथि डाॅ. शील कौशिक एवं विशिष्ट अतिथि दिनेश पांचाल रहे। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. मंजु चतुर्वेदी ने कहा कि बाल साहित्य की समीक्षा मानक मानदंड के अनुसार होनी चाहिए। बच्चों के ज्ञानवर्धक आलेख की समीक्षा डाॅ. इंदु गुप्ता ने, मधुबन की सरस कहानियां की समीक्षा डॉ. गोपाल राजगोपाल ने की।
यशपाल शर्मा यशस्वी ने मस्तानों की टोली की समीक्षा की। इस भव्य समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से आए बाल साहित्यकारों ने भाग लिया।
नगर के साहित्यकारों में डाॅ. गोपाल राजगोपाल, तरुण कुमार दाधीच, शकुंतला पालीवाल, किरण बाला किरन, श्याम मठपाल, अशोक जैन मंथन, प्रतिज्ञा भट्ट, अंजलि पंड्या, कुंतल अग्रवाल, मंगल कुमार जैन, पाखी जैन, पूर्वी पोरवाल, मुकेश राव, शांतिलाल शर्मा, मनीला पोरवाल आदि इस अवसर पर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद जगदीश भंडारी ने ज्ञापित किया।
वरिष्ठ संवाददाता अब्दुल समद राही की रिपोर्ट