चारण परंपरा विषयक एवं दिवसीय ज्ञान-गीत 05 जनवरी को, व्याख्यान, काव्य-प्रस्तुति एवं नीति-उपदेश की बहेगी त्रिवेणी..

चारण परंपरा विषयक एवं दिवसीय ज्ञान-गीत 05 जनवरी को,   व्याख्यान, काव्य-प्रस्तुति एवं नीति-उपदेश की बहेगी त्रिवेणी..

जोधपुर, 30 दिसंबर। वेद, उपनिषद, पुराण एवं श्रुति-स्मृतियों से लेकर आधुनिक युग तक जिसके विशिष्ट ज्ञान, कर्म एवं विचार का बारम्बार जिक्र हुआ है, वह 'चारण' आज भी अपनी काव्य-प्रतिभा एवं प्रत्युत्पन्नमतित्व के लिए जाना जाता है।

 महाबली हनुमान स्वयं कहते हैं कि मैं चरणों के मार्ग से लंका जाऊंगा एवं माता सीता की खोज करके लौटूंगा। उस 'चारण' की अपनी एक विशिष्ट परम्परा है।

 जिसे भारतीय ज्ञान परंपरा के वृहद स्वरूप का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। 'चारण-परम्परा' पर एक दिवसीय ज्ञान-गंगा के रूप के संगोष्ठी का आयोजन रविवार 05 जनवरी, 2025 को काव्य कलरव अंतराष्ट्रीय व्हाट्सएप्प समूह के तत्त्वावधान में होने जा रहा है।

 काव्यकलरव के एडमिन एवं सेवानिवृत्त पुलिस उप-अधीक्षक मोहनसिंह रतनू ने बताया कि सुमेर स्कूल के पास जोधपुर में स्थित रामसिंह भाटी मेमोरियल भवन में आयोज्य इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वर्तमान समय मे चारण-परंपरा के सबसे आधिकारिक एवं वरद विद्वान प्रोफेसर अर्जुनदेव चारण रहेंगे।

 प्रोफेसर चारण द्वारा हाल ही में लिखित 'चारण-परम्परा' पुस्तक राजस्थान एवं गुजरात सहित सम्पूर्ण भारत के चारण समाज एवं साहित्यिक समाज में चर्चा का विषय है।

कुल दो सत्रों में आयोज्य संगोष्ठी का पहला सत्र 'चारण परम्परा : विहंगावलोकन' तथा द्वितीय सत्र 'चारण एवं चारणत्व' नाम से होंगे। द्वितीय सत्र में पूज्य संत नारायण स्वामी जी का मंगल सान्निध्य एवं पाथेय प्राप्त होगा वहीं चारण साहित्य एवं चारणत्व के प्रखर अध्येता एवं वक्ता कवि जयेश भाई गढ़वी एवं कवि अनुभा जामंग द्वारा काव्य-प्रस्तुति एवं उद्बोधन दिया जाएगा।

 कार्यक्रम का संयोजन प्रोफेसर गजादान चारण 'शक्तिसुत' करेंगे। आयोज्य कार्यक्रम में चारण मातृशक्ति एवं युवा पीढ़ी सहित साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रहेगी, जिनकी 'चारण, चारणत्व एवं चारण परम्परा' विषयक जिज्ञासाओं का समाधान मंचासीन अथितियों द्वारा किया जाएगा।

वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही कि रिपोर्ट