Ram Rahim
Ram Rahim गुरमीत राम रहीम को अगस्त 2017 में सीबीआई की विशेष अदालत ने साध्वी से रेप और हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए 20 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार और हत्या के मामले में सजा काटते हुए तीन सप्ताह की पैरोल दी गई है। आज राम रहीम की रिलीज डेट है। पंजाब चुनाव (पंजाब चुनाव 2022) से पहले राम रहीम के विश्राम से कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। रेप का दोषी राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है।
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम(Ram Rahim) को मां की बीमारी के चलते 21 दिन की फरलो मिली है। राम रहीम(Ram Rahim) 25 अगस्त 2017 से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। 2 साध्वियों से दुष्कर्म में 10-10 साल और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
क्या होता है फरलो ?
एक दोषी अपराधी को सक्षम करने का प्रावधान है, जिसे पांच साल या उससे अधिक जेल की सजा सुनाई गई है और जिसने तीन साल जेल की सजा काट ली है, उसे प्रति वर्ष चार सप्ताह के लिए फरलो( बेल ) दिया जा सकता है। फर्लो एक प्रकार की छुट्टी है जिसमें निंदा किए गए अपराधियों को छुट्टी दी जाती है और निर्धारित समय के लिए घर लौटने की अनुमति दी जाती है।
डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को मई 2021 में भी मिली थी पैरोल
बीमार होने के बाद डेरामुखी गुरमीत को कई बार जेल से बाहर निकाला गया और पीजीआईएमएस और गुरुग्राम अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। गुरमीत(Ram Rahim) ने पैरोल और फरलो के लिए कई अनुरोध किए थे। पिछले साल मई में उन्हें 48 घंटे की रिहाई दी गई थी। इस दौरान वह अपनी मां की तबीयत के बारे में जानने के लिए गुरुग्राम गए थे। गुरमीत राम रहीम (Ram Rahim)पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेल से रिहा हुआ था। वह 28 फरवरी तक उपलब्ध हैं। इस युग की अनूठी बात यह है कि 20 फरवरी को पंजाब की सभी 117 सीटों पर मतदान होगा। पंजाब में डेरों की काफी अहमियत (Dera Politics) है। मालवा से लेकर दोआबा तक फैले डेरे सियासी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। चुनावी जानकारों के मुताबिक 2017 के विधानसभा चुनाव में राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) का पर्दे के पीछे से समर्थन किया था। इसी वजह से करारी हार के बावजूद अकाली 25 फीसदी के आसपास वोट शेयर हासिल करने में सफल रहे थे।
क्या होती है पैरोल, मिलने को लेकर क्या है नियम
कारागार में बंद विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों को दो तरह से रियायत दी जाती है। पहली पैरोल तथा दूसरी फरलो। कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है। फरलो उसी सूरत में दी जाती है जब सजा के तीन साल पूरे हो चुके हो। इसमें शर्त यह भी होती है कि कैदी का चाल चलन जेल के भीतर ठीक रहा हो। पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं। खेती के लिए छह सप्ताह की पैरोल दिए जाने का प्रावधान है। यह साल में एक बार ही मिल सकती है। बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए चार सप्ताह की पैरोल दी जा सकती है। यह भी साल में एक बार दी जा सकती है। मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए तीन साल में एक बार पैरोल का प्रावधान है। यह तीन सप्ताह की अधिकतम हो सकती है। पैरोल की खास बात है कि यह सजा में नहीं जुड़ती है। यानी कैदी जितना समय पैरोल पर रहेगा उतनी सजा उसे काटनी होगी।
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