Periods :-
Periods :-एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही लड़कियाँ नज़रें चुरा लेती है और लड़के कान बंद कर लेते है। खासतौर पे ऐसा तब होता है जब Opposite Sex एक दुसरे के आमने सामने हो। भले ही हमारे देश ने तरक्की कर ली हो पर कुछ जगहों पर लोगों की सोच Periods को लेकर अभी भी Conservative ही है।
कुछ लड़कियाँ इस बात से relate कर पाएंगी की जब भी वह Chemist Shop पर जाती है Sanitary Pad खरीदने तो उन्हें Clear Bag की बजाये एक Black Polythene में पैक करके देते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब काम हम कोनसी सोच और कोनसी मानसिकता के साथ करते है। जी हाँ आज बात करेंगे उसी सोच और उसी मानसिकता की।
बात सिर्फ एक लड़की, परिवार, देश, राज्य, कसबे, जिले की नहीं है बल्कि बात सम्पूर्ण देश की सोच का है। yes these things doesn’t only happen in one state, but it happens in all over the india
बातों को ज्यादा गोल-गोल न घुमाकर अब आते है आज के मुद्धे पर हाल ही में हमारे सामने खबर आई है केरल के एर्णाकुलम जिले के कुंभलंगी गाँव कि दरअसल केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुंभलंगी को देश का पहला पैड फ्री गावं घोषित कर दिया है। यानी इस गाँव में अब सैनिटरी पैड्स न मिलेंगे और न ही इस्तेमाल किये जायेंगे।
इससे पहले कि आप नाराज़ हो हम बता दें कि periods में यहाँ कि लड़कियाँ और महिलाएं पैड कि जगह अब मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने लगी है।
दरअसल, एर्णाकुलम के सांसद हिबी ईडन ने प्रधानमंत्री संसद आदर्श ग्राम योगना के तहत ‘अवलकायी’ अभियान की शुरुआत की थी. इसका मतलब होता है for her यानी महिलाओं, लड़कियों के लिए. इस अभियान के तहत 18 साल से ऊपर की महिलाओं को 5000 से ज्यादा मेंस्ट्रुअल कप बांटे गए हैं. बीते तीन महीनों में महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई.
इस दौरान सांसद हिबी ईडन ने कहा,“हमने कई स्कूलों में नैपकिन-वेंडिंग मशीनें लगाई हैं, लेकिन अक्सर वो ठीक से काम नहीं करते. फिर हमें यह आइडिया आया और हमने एक्स्पर्ट्स से सलाह लेकर इसका विस्तार से अध्ययन किया. एक्स्पर्ट्स ने कहा कि मेन्स्ट्रूअल कप को कई सालों तक रीयूज़ किया जा सकता है और यह अधिक हाईजीनिक है.”
सांसद हिबी ईडन का मानना है कि यह नई पहल सिंथेटिक सैनिटेरी नैप्किन के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करेगा. साथ ही यह वर्किंग वुमन और स्टूडेंट्स की पर्सनल हाइजीन को भी सुनिश्चित करेगा.
मेन्स्ट्रुअल कप क्या होते हैं?सिलिकॉन से बना एक छोटा सा कप. बेहद सॉफ्ट और ईज़ी टू यूज़ एंड ईज़ी टू स्टोर. माने जरा सी जगह लेगा. इसे अपने पर्स में भी आराम से कैरी कर सकती हैं आप. ये अलग कैसे है. पैड्स को आप बाहर लगाती हैं. यानी अपने अंडरवियर में. मगर कप को आप दबाकर अपने प्राइवेट पार्ट में इन्सर्ट कर सकती हैं. और ये वहां जाकर ठहर जाएगा.
जैसा कि आप अनुमान लगा सकती हैं, ये आपका पीरियड ब्लड जमा करता रहेगा. और जब ये भर जाए तब आप इसे टॉयलेट में खाली कर सकती हैं. इस कप को गर्म पानी में अच्छे से उबालकर आप इसे दोबारा इस्तेमाल कर सकती हैं. यानी 300 से 400 रुपये का ये कप तब तक चलेगा, जब तक आप चलाओ. और आपको हर महीने होने वाले पैड्स के खर्चे से मुक्त करेगा.
और क्या फायदे हैं मेंस्ट्रुअल कप के?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीरियड्स के दौरान मेन्स्ट्रूअल हाइजीन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बाकि चीजों की तुलना में मेन्स्ट्रूअल कप एक सेफ़ ऑप्शन है. उन्होंने कहा कि मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन और लेटेक्स से बना एक कप 10 साल तक चल सकता है और यह विभिन्न मेन्स्ट्रूअल प्रोडक्टस की तुलना में कम खर्चीला और इको फ़्रेंडली भी है.
ये बजट फ्रेंडली है ये तो हमने जान लिया. लेकिन ये पैड्स की तुलना में इकोफ्रेंडली भी है. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आमतौर पर मिलने वाले सैनिटरी पैड्स में 90 प्रतिशत प्लास्टिक होता है. प्लास्टिक यानी पर्यावरण का दुश्मन. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 1200 करोड़ से ज्यादा सैनिटरी नैप्किन इस्तेमाल होता है, लगभग 1.13 लाख टन कचरा और उसमें से 90 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा. अगर सैनिटरी नैप्किन की जगह महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने लगेंगी तो ये कचरा काफी कम किया जा सकता है.