रचाव रौ अेक पहाड़/अरथावै नूवीं दीठ/करै उजळ/आखर दर आखर : कमल रंगा..

रचाव रौ अेक पहाड़/अरथावै नूवीं दीठ/करै उजळ/आखर दर आखर : कमल रंगा..

बीकानेर 29 नवंबर, 2024 प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपनी मासिक साहित्यिक नवाचार के तहत ‘प्रकृति’ पर केंद्रित ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ की सातवीं कड़ी नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि कविता करना एक सृजनात्मक चुनौती तो है ही साथ ही रचनाकार को भाव, विचार, बिम्ब एवं शिल्प के प्रति भी सजग रहकर अपनी रचना प्रक्रिया से गुजरना होता है।

 ऐसे ही नव प्रयोग करते हुए हिन्दी, उर्दू एवं राजस्थानी के विशेष आमंत्रित कवि-शायरों ने आज ‘पहाड़’ के विभिन्न पक्षों को रेखांकित करते हुए काव्य रस-धारा से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज की इस कड़ी में कविता, गीत, गजल, हाइकू एवं दोहों से सरोबार इस काव्य रंगत में शब्द की शानदार संगत रही। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि-शिक्षाविद डॉ. नरसिंह बिन्नाणी ने कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से नवाचार के साथ-साथ नवरचना का होना नगर की काव्य परंपरा को समृद्ध करता है।

आज पहाड़ पर विभिन्न तरह से कवि-शायरों ने अपनी नवीन दृष्टि एवं नवबोध के साथ नव रचनाओं का महत्वपूर्ण वाचन किया। ऐसे आयोजन के लिए आयोजक एवं संस्था साधुवाद की पात्र है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने पहाड़ पर केंद्रित रचना - रचाव रौ अेक पहाड़/अरथावै नूवीं दीठ/करै उजळ/आखर दर आखर... एवं घड़ता झूठ रौ पहाड़/सूंपता लाम्बी चौड़ी/अबखायां ई अबखायां... पेश कर पहाड़ के विभिन्न नव संदर्भ को नई अर्थवता प्रदान की।

इसी क्रम में कवि डॉ. नरसिंह बिन्नाणी ने पहाड़ पर केंद्रित अपने हाइकू पेश कर पहाड़ के कई रंगों के केनवास घड़े। जैसे - तपे श्री भोले/पहाड़ है कैलाश/साथ में नंदी... आदि प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इंद्रा व्यास ने राजस्थानी में अपनी नव रचना - धरती रौ साचौ बीरौ/पहरेदार हूं सच्चौ रक्षक... प्रस्तुत कर पहाड़ की महिमा को सामने रखा। इसी कड़ी में वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपने गीत - पर्वतों के अजीब राज सुनो... का सस्वर वाचन कर गीत के मिठास को घोला।

कवि कैलाश टाक ने अपनी कविता - गमों का पहाड़ टूटा/लूट-लूटकर जी भर लूटा... के माध्यम से पहाड़ के बेजा दोहन पर पीड़ा व्यक्त की। कवि गिरिराज पारीक ने अपनी कविता - कहते हैं कठोर/पर उसका भी मन है/उसका भी तन है... के माध्यम से पहाड़ के मानवीयकरण का रूप प्रस्तुत किया।

 युवा कवि यशस्वी हर्ष ने अपनी रचना- हर पर्वतों को पूजा हमने/फिर छोड़ दिया पर्वत को तन्हा... पेश कर पहाड़ की पीड़ा को उकेरा। कवि शिवशंकर शर्मा ने पहाड़ की भूमिका एवं राष्ट्र रक्षा के संदर्भ में अपनी रचना प्रस्तुत की।

तो कवि ऋषि कुमार तंवर ने अपनी कविता में पर्वत एवं मानव के रिश्तों को सामने रखा। कवि हरिशंकर व्यास ने राजस्थानी गीत - पर्वत म्हारै धरम रौ बीरो.. सस्वर प्रस्तुत किया। इस अवसर पर वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब एवं कासिम बीकानेरी की पहाड़ पर केंद्रित ताजा गजलों का शानदार वाचन हुआ।

 प्रारंभ में सभी का स्वागत वरिष्ठ शिक्षाविद राजेश रंगा ने करते हुए आयोजन के महत्व को बताते हुए कहा कि आगामी 8वीं कड़ी माह दिसंबर में ‘प्रकृति’ के महत्वपूर्ण उपक्रम ‘चन्द्रमा’ पर केंद्रित होगी। कार्यक्रम में भवानी सिंह, भैरूरतन रंगा, अशोक शर्मा, पुनीत रंगा, राहुल आचार्य, सुनील व्यास, हरिनारायण आचार्य, इन्द्रजीत, जीवण लाल, कन्हैयालाल, राजपाल, तोलाराम, अख्तर सहित सभी श्रोताओं ने काव्य रस-धारा का आनंद लिया।

 कार्यक्रम का संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया। सभी का आभार युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

वरिष्ठ संवाददाता अब्दुल समद राही कि रिपोर्ट